पब्लिश्ड 07:39 IST, January 17th 2025
Sakat Chauth 2025: सकट चौथ आज, नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र; बनी रहेगी गणेशजी की कृपा
Sakat Chauth 2025 Date: आज सकट चौथ के दिन आप इस मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।
- धर्म और आध्यात्मिकता
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Sakat Chauth 2025: हिंदू धर्म में सकट चौथ का बेहद खास महत्व है। हर साल माघ माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ का व्रत किए जाने का विधान है। जो कि इस साल आज यानी शुक्रवार 17 जनवरी के दिन रखा जा रहा है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ सकट माता की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान होता है।
माताएं सकट चौथ के दिन अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिए व्रत करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते हैं कि आज के दिन पूजा और चंद्रोदय का समय क्या होगा।
सकट चौथ पूजन मुहू्र्त और सूर्योदय का समय (Sakat Chauth 2025 Puja Muhurat aur Suryoday)
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक।
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 02 बजकर 59 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक।
चन्द्रोदय का समय
रात 09 बजकर 09 मिनट पर चन्द्रोदय होगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करना काफी शुभ माना जाता है।
सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth 2025 Puja Vidhi)
- सकट चौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ व पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- भगवान गणेश का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- एक चौकी पर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा में भगवान गणेश को सिंदूर, फूल, फल, मिठाई, दूर्वा और तिल से बनी चीजों को अर्पित करें।
- सकट व्रत कथा का पाठ करें और भगवान गणेश की आरती करें।
- अंत में भगवान गणेश को लगाए गए भोग को प्रसाद के रूप में परिवारजनों में वितरित करें।
गणेश जी के मंत्र (Ganeshji Ke Mantras)
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये।
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
ॐ नमो हेरम्ब मदमोहित
मम सङ्कटान् निवारय निवारय स्वाहा॥
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
ॐ वक्रतुण्डाय हुम्॥
ॐ गं गणपतये नमः॥
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अपडेटेड 07:39 IST, January 17th 2025