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पब्लिश्ड 20:32 IST, November 5th 2024

सूअर में हो गई बर्ड फ्लू की पुष्टि, तो क्यों चिंतित हो गए वायरस साइंटिस्ट?

दुनिया ऐसे वायरस से भरी पड़ी है, जो हमारे आसपास मौजूद हर नस्ल के जीवों को संक्रमित कर सकते हैं।

सुअर में हो गई बर्ड फ्लू की पुष्टि, तो क्यों चिंतित हो गए वायरस साइंटिस्ट? | Image: AP

ग्लासगो, पांच नवंबर (द कन्वरसेशन) एच5एन1 इंफ्लूएंजा ने अब सुअरों में भी दस्तक दे दी है। 2020 में बर्ड फ्लू के इस बेहद संक्रामक स्वरूप के वैश्विक स्तर पर तेजी से फैलने के बाद से ही विषाणुविज्ञानी इस बात को लेकर चिंतित थे। लेकिन वे सूअरों को लेकर खासतौर पर फिक्रमंद क्यों थे? और क्या ओरेगॉन के एक फार्म में 29 अक्टूबर को एक सूअर में एच5एन1 इंफ्लूएंजा संक्रमण की पुष्टि से कुछ बदला है?

यह अजीब लगता है कि हम इसे लेकर चिंतित हैं। लेकिन एक सुअर के एच5एन1 इंफ्लूएंजा की चपेट में आने की शुरुआती खबरें कई मायनों में वैश्विक स्तर पर बर्ड फ्लू के लगातार जारी प्रकोप की ओर इशारा करती हैं, जिसने दुनियाभर में बड़ी संख्या में समुद्री पक्षियों को प्रभावित किया है, बड़ी संख्या में सील मछली की मौत का कारण बना है और अमेरिका में मवेशियों में एक नये संक्रामक रोग को जन्म दिया है।

मौजूदा मामले में हम फिलहाल बस यही जानते हैं कि अमेरिका के एक गैर-वाणिज्यिक पोल्ट्री फार्म में पक्षियों में एच5एन1 संक्रमण पाया गया है। इस फार्म में पांच सुअर सहित अन्य जानवर भी रहते हैं। यूं तो सुअरों में कोई लक्षण नहीं उभरे, लेकिन उनमें से एक की नाक से लिए गए नमूने की जांच में एच5एन1 वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई।

हम अभी यह नहीं जानते कि वह सुअर वाकई में संक्रमित हो गया था या फिर उसने संक्रमण के शिकार पक्षियों के संपर्क में आए किसी पदार्थ को सूंघ लिया था। फिलहाल, ऐसा नहीं लगता है कि इस वायरस का किसी अन्य सुअर में प्रसार हुआ है।

हालांकि, पोल्ट्री फार्म में “स्पिलओवर इंफेक्शन” बेहद आम हैं, जिसमें एक नस्ल के जानवरों में पाए जाने वाले वायरस दूसरे नस्ल के पशु में फैल जाते हैं। मई में एक पोल्ट्री फार्म में अल्पाका (भेड़ की नस्ल का पशु) में एच5एन1 संक्रमण का मामला सामने आया था।

यह समझने के लिए कि सुअर में संक्रमण के मामले ने विषाणुविज्ञानियों का ध्यान क्यों खींचा है, हमें यह सोचना होगा कि किसी वायरस के एक मेजबान नस्ल से दूसरी में फैलने के क्या मायने हैं। पल भर के विश्लेषण मात्र से पता चल जाता है कि किसी वायरस के लिए मेजबान नस्ल से दूसरी नस्ल में प्रवेश करना अविश्वसनीय रूप से कठिन होगा।

दुनिया ऐसे वायरस से भरी पड़ी है, जो हमारे आसपास मौजूद हर नस्ल के जीवों को संक्रमित कर सकते हैं। लेकिन अगर किसी वायरस के लिए एक नस्ल से दूसरी नस्ल में फैलना लगभग असंभव न होता, तो हम हर दस मिनट में एक नयी महामारी से जूझ रहे होते।


बैक्टीरिया से अलग

वायरस के लिए एक नस्ल के जीव से दूसरी नस्ल के जीव के शरीर में प्रवेश करना इतना मुश्किल इसलिए होता है, क्योंकि वायरस मूल रूप से बैक्टीरिया या परजीवियों (पैरासाइट) से अलग होते हैं। बैक्टीरिया और परजीवी ऐसे रोगजनक होते हैं, जो मूल रूप से हमारी कोशिकाओं और अंगों को नष्ट करना चाहते हैं। वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद कोशिकाओं का नियंत्रण अपने हाथों में ले लेते हैं और उनकी क्रिया में बदलाव करते हैं, ताकि अपनी आबादी बढ़ा सकें। 

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधियां, तरीके और दावे अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं।  REPUBLIC BHARAT आर्टिकल में दी गई जानकारी के सही होने का दावा नहीं करता है। किसी भी उपचार और सुझाव को अप्लाई करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

अपडेटेड 20:32 IST, November 5th 2024

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