Published 22:38 IST, September 10th 2024
Wolf Attack: बहराइच में अचानक लोगों को निवाला क्यों बनाने लगे भेड़िये? एक्सपर्ट्स ने किया ये दावा
बहराइच में 50 गांवों में भेड़ियों के हमलों की बढ़ती घटनाओं की वजह ‘रेबीज’ या ‘कैनाइन डिस्टेंपर वायरस’ जैसी कोई बीमारी हो सकती है।
‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ के प्रमुख एस पी यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के लगभग 50 गांवों में भेड़ियों के हमलों की बढ़ती घटनाओं की वजह ‘रेबीज’ या ‘कैनाइन डिस्टेंपर वायरस’ जैसी कोई बीमारी हो सकती है।
यादव ने यहां ‘पीटीआई’ समाचार एजेंसी के मुख्यालय में संपादकों से कहा कि पकड़े गए जानवरों के संबंध में पर्याप्त विश्लेषण के बाद ही सटीक कारण का पता लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महसी तहसील के 50 गांव में आतंक का पर्याय बने छह भेड़ियों के झुंड को पकड़ने के लिए 17 जुलाई से ‘ऑपरेशन भेड़िया’ जारी है। इन भेड़ियों के हमले में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 20 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।
यादव ने कहा, ‘‘ये कोई नियमित घटनाएं नहीं हैं। जानवर का पागल हो जाना या ऐसी ही कोई चीज होगी जिसकी वजह से यह समस्या हुई। आम तौर पर ऐसा नहीं होता। मेरा मानना है कि पिछले 10 साल में यह पहली ऐसी घटना है। वन विभाग समस्या पैदा करने जानवरों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कर रहा है।’’
यादव पहले ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ और ‘प्रोजेक्ट चीता’ का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ‘रेबीज’ और ‘कैनाइन डिस्टेंपर’ वायरस जानवरों के व्यवहार को कभी-कभी बदल देते हैं, जिससे उनमें मनुष्यों के प्रति भय खत्म हो जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कारण हो सकता है। कारण जानने के लिए जानवर को पकड़ना, नमूने का विश्लेषण करना और समस्या का उचित निदान करना महत्वपूर्ण है।’’ राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के पूर्व सदस्य सचिव ने कहा कि बाघ कभी-कभी ‘‘आदमखोर’’ हो जाते हैं और यह भी सामान्य घटना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘शिकार करने के लिए बहुत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह आसान नहीं है। इसलिए, जब वे बूढ़े हो जाते हैं या जंगल में शिकार करने में असमर्थ हो जाते हैं, तो वे मवेशियों जैसे आसान शिकार को अपना निशाना बना सकते हैं। इसी तरह, अगर उनके दांत टूटे हुए हैं या उनके पंजे घायल हैं, तो वे मनुष्यों या मवेशियों पर तभी हमला करते हैं, जब वे परेशान हों।’’
उन्होंने कहा कि बाघ आमतौर पर मनुष्यों को शिकार नहीं बनाते। यादव ने कहा, ‘‘अधिकतर मामलों में बाघ खेतों में छिपे लोगों को गलती से हिरण या अन्य शिकार समझ लेता है।’’ वन विभाग की टीम ने छह आदमखोर भेड़ियों के झुंड में शामिल पांचवें भेड़िये को मंगलवार तड़के पकड़ लिया।
बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि आदमखोर भेड़ियों के झुंड में शामिल एक भेड़िए को आज तड़के करीब सवा छह बजे महसी तहसील के सिसैया चूणामणि गांव के हरबख्शसिंह पुरवा से पकड़ा गया।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 22:38 IST, September 10th 2024