Published 12:20 IST, September 13th 2024
CM दफ्तर और फाइलों से दूर, विदेश दौरा भी नहीं कर पाएंगे... केजरीवाल को जमानत के साथ SC ने रखी शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के साथ कुछ शर्तें भी लगाई हैं। केजरीवाल को 10 लाख रुपये का जमानत बॉन्ड भरना होगा और उसके बाद जेल से रिहा होंगे।
Arvind Kejriwal Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तथाकथित शराब घोटाला केस में जमानत मिल गई है। 2021-22 की अब समाप्त हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में CBI की तरफ से दर्ज मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने ये आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि आम आदमी पार्टी नेता जमानत के लिए ट्रिपल टेस्ट को पूरा करते हैं और तदनुसार उनकी रिहाई का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के साथ कुछ शर्तें भी लगाई हैं। सबसे पहले केजरीवाल को 10 लाख रुपये का जमानत बॉन्ड भरना होगा और उसी के बाद वो जेल से रिहा होंगे। अदालत ने केजरीवाल के पर और क्या-क्या पाबंदियां लगाई हैं, उसके बारे में बताते हैं।
केजरीवाल पर क्या-क्या पाबंदी?
- केजरीवाल इस केस पर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
- ट्रायल कोर्ट का सहयोग करना होगा। सभी सुनवाई के लिए उपस्थित रहना होगा।
- जमानत की और शर्तें निचली अदालत तय करेगी।
- वो मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकते हैं।
- मुख्यमंत्री रहते हुए भी फाइलों को साइन नहीं कर सकते हैं।
- विदेश दौरे पर नहीं जा सकते हैं।
- ED केस में मिली शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी।
कितनी देर में जेल से रिहा होंगे केजरीवाल?
सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर तकरीबन 1 घंटे तक केजरीवाल के वकीलों को मिलेगा। उसके बाद केजरीवाल के वकील ऑर्डर को लेकर लोवर कोर्ट जाएंगे, जहां लोवर कोर्ट जमानत की शर्तों को तय करेगा और उसके बाद रिहाई का आदेश तिहाड़ जेल पहुंचेगा। अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल की जेल नंबर 2 में बंद हैं। बेल ऑर्डर आने के बाद अरविंद केजरीवाल की रिहाई का सिलसिला शुरू होगा। केजरीवाल दिल्ली के सीएम है तो उनका प्रोटोकॉल तिहाड़ जेल पहुंचेगा। पिछली बार केजरीवाल गेट नंबर 4 से बाहर निकले थे, जिसके बाद गेट नंबर 3 के बाहर मौजूद कार्यकर्ताओ को संबोधित करके अपने घर की तरफ निकल गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को आड़े हाथ लिया
केजरीवाल को जमानत के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अपने अलग फैसले में सीबीआई को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने कहा कि ईडी मामले में जमानत मिलने के बाद CBI की तरफ से केजरीवाल की गिरफ्तारी सिर्फ उनकी रिहाई को विफल करने के लिए की गई थी। न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, 'ऐसा लगता है कि ईडी मामले में केजरीवाल को निचली अदालत से नियमित जमानत दिए जाने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। 22 महीने से अधिक समय तक उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इस तरह की कार्रवाई से गिरफ्तारी पर ही गंभीर सवाल उठते हैं। इस पर विचार किया जा सकता है।'
जस्टिस भुइयां ने कहा कि जहां तक गिरफ्तारी के आधार का सवाल है, ये गिरफ्तारी की जरूरत को पूरा नहीं करती। सीबीआई गोलमोल जवाबों का हवाला देकर गिरफ्तारी को उचित नहीं ठहरा सकती और हिरासत जारी नहीं रख सकती। आरोपी को बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। केजरीवाल की जमानत के फैसले में जस्टिस भुइयां ने अपने फैसले में लिखा कि CBI को इस तरह काम करना चाहिए कि उसकी दोबारा से 'पिजरे का तोता' की छवि ना बने।
Updated 12:20 IST, September 13th 2024