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Published 17:32 IST, October 6th 2024

Navratri Special: नवरात्रि में नारी शक्ति का जश्न मनाते रीजनल सिनेमा, बदल रहा है नैरेटिव

इन दिनों शक्ति का महापर्व भारत मना रहा है। पिछले एकाध साल में रीजनल सिनेमा ने जो कर दिखाया है वो कमाल है। महिला को शक्ति क्यों कहते हैं ये बिना खून खराबे के कर दिखाया है।

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नारी शक्ति का जश्न | Image: IANS

Kutch Express: 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः', शक्ति का महापर्व भारत मना रहा है। देवी के श्रीचरणों में श्रद्धाभक्ति अर्पित करने को हमारे सिनेमा ने हमें कई मौके दिए हैं, लेकिन पिछले एकाध साल में जो रीजनल सिनेमा ने कर दिखाया है वो कमाल है। महिला को शक्ति क्यों कहते हैं ये बिना खून खराबे के कर दिखाया है।

गुजराती फिल्म 'कच्छ एक्सप्रेस' की मुख्य किरदार मानसी पारेख को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया। रीजनल सिनेमा की बहुत आम सी फिल्म लेकिन सब्जेक्ट शानदार था। इसका एक सीन ही जता देगा कि कैसे महिला मुद्दे को अड्रेस किया जाता है। महिलाएं मासूम हो सकती हैं लेकिन नासमझ नहीं।

सीन कुछ यूं है कि पत्नी पति की बाइक छूती भर है और अनायास उसके मुंह से निकलता है- ये क्या है बाइक! पति कहता है ये बुलेट है औरतों के बस की बात नहीं। पत्नी आंखें झुकाकर खड़ी हो जाती है तभी उसकी सास तंज कसती है ए बाइक क्या तू जानती थी कि तुझे सिर्फ मर्द चला सकता है। ये महज एक छोटा सा अंश है इसके अलावा भी कई दृश्य हैं जो दर्शकों को बांधे रखते हैं और हंसाने के साथ कुछ सोचने पर भी मजबूर करते हैं।

पिछले एक साल में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जो पुराने नैरेटिव को तोड़ नया सेट करती हैं। जताती हैं कि रियलिस्टिक वर्ल्ड क्या है। रिअल लाइफ को ही रील दिखा रहा है। ऐसी ही एक फिल्म है 'बाई पण भारी देवा' यानि महिला होना आसान नहीं। मराठी फिल्म। 40 से लेकर 60 का दायरा पार कर चुकी 6 बहनों की कहानी। जिनकी दिक्कतें अलग-अलग हैं उनसे डील करने का अंदाज भी अलग पर कहानी 40 पार हर उस महिला की जो खुद को अडजस्ट करने की कोशिश कर रही है।

ऐसी ही एक और सीरीज ओटीटी पर रिलीज हुई, नाम था 'स्वीट कारम कॉफी'। फील गुड का एहसास कराती सीरीज। तमिल भाषा में बनी जिसमें तीन मुख्य किरदार है। मणिरत्नम की 'रोजा' यानि मधु बीच का पुल हैं दादी और पोती के बीच की। तीन जेनेरेशन को बड़ी सुघड़ता से गढ़ा गया है। एक औरत की इच्छाओं, उसके असुरक्षा भाव और रास्ते में पड़ने वाली रुकावटों को दर्शाती कहानी। तीनों घर के मर्दों को छोड़ एक रोड ट्रिप पर निकलती हैं और फिर जो होता है वो देखने वालों को नारी शक्ति का असल मतलब समझा जाता है।

कुल मिलाकर जिंदगी की तकलीफों को धुंए में उड़ाने का काम कर रही हैं 'वीमेन ओरिएंटेड' नहीं 'वीमेन सेंट्रिक' कहानियां। जिनमें रवानगी है किस्सागोई है। वो घिसापिटा अंदाज नहीं या फिर सैड या हैप्पी एंडिंग की बात नहीं बल्कि एंडिंग ऐसी जो दर्शन समझाती है। 

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Updated 17:32 IST, October 6th 2024

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