Published 19:13 IST, December 14th 2024
'वो अफजल गुरु के मानवाधिकार की बात करते हैं हम शहीदों के...', संसद में कांग्रेस पर रविशंकर का हमला
लोकसभा सत्र में भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने मानवाधिकार और संविधान को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है।
- भारत
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लोकसभा सत्र में संविधान को लेकर पक्ष और विपक्ष की तरफ से संबोधन किया जा रहा है। कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने भी सदन में अपना पक्ष रखा और इस दौरान उन्होंने सत्ता पक्ष पर जमकर पलटवार किया। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस पार्टी को घेरा। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर जमकर हमला किया। भाजपा नेता ने कहा कि वो अफजल गुरु के मानवाधिकार की बात करते हैं हम शहीदों के मानवाधिकार की बात करते हैं।
रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, "संविधान को बनाने वाले महान लोग थे, उन्हें मैं प्रणाम करता हूं। दो नामों पर कभी चर्चा क्यों नहीं होती है। सरदार पटेल और मौलाना आजाद के नाम की चर्चा कभी क्यों नहीं होती है। मैं तब से देख रहा था कि विपक्ष के नेता कब सरदार पटेल का नाम लेंगे? आज जब 75 वर्ष की बात हो रही है तो डॉ अंबेडकर को 1989 में मिले भारत रत्न की चर्चा की। मैं पीड़ा से कहना चाहता हूं कि सरदार पटेल नहीं होते तो यह देश बिखर गया होता। साढ़े 500 से ऊपर रियासते थी, सबकों उन्होंने हैंडल किया सब भारत में मिल गए। एक को नेहरू जी ने हैंडल किया, बाद में नरेंद्र मोदी को ठीक करना पड़ा।"
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का मुकुट है। क्या-क्या बात की गई? वाल्मीकि रामायण लिखने वाले वाल्मीकि कौन थे संत रविदास कौन थे? हमने अपने तकप से ईश्वर से कहां जोड़ा था जब भारत की विरासत को समझें। भारत के संविधान निर्माताओं ने क्या सोचा कि भारत के आम इंसान को भारत की नीति तय करने का अधिकार मिले। हमें उन्हें सलाम करना है, कि ना जाति ना धर्म ना उपासना पद्धति ना शिक्षा, ना अमीरी गरीबी ना कौन अगड़ा है कौन पिछड़ा, सबको अवसर मिलेगा वोट देने का। आज 70 साल की सबसे बड़ी सीख क्या बै भारत का आम नागरिक जानता है कि हम अपनी वोट की ताकत से किसी को जीता सकते हैं और किसी को हरा सकते हैं।
BJP सांसद ने कहा, “संविधान में संवाद हुआ था। संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है। संवाद का मतलब ये भी है कि हमने आपकी बात सुनी, तो जब हमारे पीएम आएं तो हमारी बात भी सुनिए, बैकऑफ मत कीजिए। उन्होंने कहा कि हम हार गए, हम कमजोर हो गए। महाराष्ट्र में जो ऐतिहासिक जीत मिली है, 1971 के बाद आजतक इतना बहुमत किसी को नहीं मिला। ये समझना चाहिए। हरियाणा में जो हमलोग तीसरी बाकर जीते 41 के बाद भी अधिक बहुमत से जीते। इसका मतलब ये है कि जनता ने सोचा जो अच्छा कि जो अच्छा काम करेगा उसे एक दो नहीं तीसरी बार भी पीएम बनाएंगे।”
संविधान रो रहा होगा कि भाई मुझे कहां-कहां लेकर जाओगे…: रविशंकर प्रसाद
उन्होंने कहा, “विपक्ष के नेता अपने साथ संविधान लेकर चलते हैं। संविधान रो रहा होगा कि भाई मुझे कहां-कहां लेकर जाओगे, कहीं तो छोड़ दो। आज मैं भी इनको संविधान दिखाना चाहता हूं। अगर भारत का संविधान आज बनता इसी संविधान में ये चित्रों को लाने की कोशिश होती तो कितना हंगामा करते। हम कहां से शुरू किए थे और कहां चले गए।”
देश की आत्मा विरासत से समझौता नहीं कर सकती: BJP
उन्होंने कहा कि इस देश की आत्मा कभी अपने देश की विरासत से समझौता नहीं कर सकती। पूरे दिल्ली में किंग एडवर्ड और क्वीन विक्टोरिया की मूर्ति थी या नहीं? वो मूर्तियां कहां चली गई? सबको हटा दिया गया। क्योंकि वो मूर्तियां कला की मूर्तियां नहीं थी, वो गुलामी की दास्तां की मूर्तियां थी। आपने निर्णय किया, आपने अच्छा काम किया। यहीं भगवान राम और कृष्ण के लिए क्यों नहीं हो सकता। यही वोट बैंक पॉलिटिक्स है। ये वोट बैंक पॉलिटिक्स के चक्कर में फंस गए। 78 साल में आप कहां हैं और हम कहां हैं ये भी देखिए। ये देश राष्ट्रवाद, समर्पण और विकास से चलेगा।
वो आतंकियों के मानवाधिकार की बात करते हम शहीदों की: BJP
भाजपा सांसद ने कहा, “वो मानवाधिकार की बात करते हैं। वो अफजल गुरु के मानवाधिकार की बात करते हैं। कभी इन्होंने जो सुरक्षाकर्मी मारे गए, उनके परिवार के मानवाधिकार की बात की क्या? उनके बच्चे, उनकी पत्नी का कोई मानवाधिकार है या नहीं? आप आतंकियों के मानवाधिकारी की लड़ाई करो, हम CRPF, BSF के जवानों के लिए लड़ेंगे। देश के लिए जीते सब हैं, मरते कौन हैं? ये सुरक्षकर्मी होते हैं। सेक्युलसरिज्म कहां से लाया गया, ये बताना जरूरी है। संविधान बनाने वाले भारत की विरासत को समझते थे। वो जानते थे कि भारत की विरासत विरोधी विचारों का सम्मान करने की है। भारत की विरासत धर्मनिरपेक्ष है।”
इमरजेंसी पर क्या बोले रविशंकर प्रसाद?
इमरजेंसी को लेकर उन्होंने कहा कि इमरजेंसी की बात करते हैं। मेरा सौभाग्य रहा है कि RSS में रहा हूं. अखिल भारतीय परिषद में 13 साल काम किया है और मैंने लोकनायक जयप्रकाश की अगुवाई में बिहार आंदोलन में भी भाग लिया। हमारी इतनी पिटाई हुई थी, कि आज भी याद करता हूं तो पीड़ा होती है। घर से भभुआ जा रहा था, 10 पुलिसवालों ने आकर उठाकर पटकर जीप में डाल दिया। मैं गश्त खाकर बेहोश हो गया। ये सब देखा है। संघर्ष है ये, लाठी भी खाई है और गोली भी खाई है, तब यहां पहुंचे हैं। किसी के परिवार में बैठने के कारण नहीं आए हैं।
Updated 19:13 IST, December 14th 2024