Published 14:47 IST, December 29th 2024
Manmohan Singh: राजघाट पर नहीं बनेगी समाधि... UPA सरकार में हुआ था फैसला, मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर बवाल क्यों?
UPA सरकार के दौरान 16 मई 2013 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था। किसी भी VVIP यानी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की समाधि राजघाट के पास नहीं होगी।
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Manmohan Singh Memorial Row: पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके स्मारक को लेकर अलग ही बहस छिड़ी हुई है। इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। जहां कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर कराए जाने को लेकर हमलावर हैं, तो वहीं BJP नेताओं की ओर से भी पलटवार किया जा रहा है।
होम मिनिस्ट्री यह पहले ही साफ कर चुकी है कि मनमोहन सिंह के कद के अनुरूप ही उनकी समाधि के लिए जगह दी जाएगी। BJP ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर घटिया राजनीति करने का भी आरोप लगाया है।
इस बीच सवाल यह है कि आखिर सरकार किस जगह पर मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने जा रही है? और आखिर इसको लेकर नियम क्या कहते हैं?
कहां बन सकती है डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि?
सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मनमोहन सिंह का स्मारक राजघाट के पास राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनाए जाने की तैयारी है। इसी जगह पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी का भी स्मारक बना हुआ है।
कांग्रेस की मांग और केंद्र सरकार का रूख
दरअसल, कांग्रेस ने मांग उठाई थी कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट के पास हो और वहीं पर उनका स्मारक भी बनाया जाए। इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने PM मोदी को चिट्ठी भी लिखी थीं। हालांकि केंद्र सरकार ने कांग्रेस की इस मांग पर कहा था कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर ही होगा। सरकार ने साफ कर दिया था कि मनमोहन सिंह का स्मारक बनाया जाएगा। जगह पर फैसला जल्द ही होगा।
अपमान का लगाया आरोप
27 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। निगम बोध घाट पर ही उनका अंतिम संस्कार भी हुआ। जिसको लेकर सरकार पर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां भी हमलावर हैं। वह देश के पहले सिख प्रधानमंत्री के अपमान का आरोप लगा रही हैं।
UPA सरकार का फैसला, तो अब विरोध क्यों?
राजघाट पर डॉ. मनमोहन सिंह की समाधि नहीं दिए जाने के पीछे UPA सरकार का ही एक फैसला है, जिसकी इस विवाद के बीच चर्चाएं शुरू हो गई है। UPA सरकार के दौरान 16 मई 2013 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था। किसी भी VVIP यानी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की समाधि राजघाट के पास नहीं होगी। इसके पीछे जगह की कमी का हवाला दिया गया।
इसके साथ ही राष्ट्रीय स्मृति स्थल बनाने का भी प्रस्ताव पास हुआ। बता दें कि यह जगह राजघाट से 1.6 किलोमीटर दूर है। प्रस्ताव लाते समय यह कहा गया था कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी जैसे नेताओं की समाधियां 245 एकड़ जमीन पर बनी हैं। ऐसे में अअब राष्ट्रीय स्मृति स्थल के लिए जगह दी जा रही है। यहां सभी VVIP के लिए स्थान होगा।
Updated 16:51 IST, December 29th 2024