Download the all-new Republic app:

Published 16:25 IST, July 24th 2024

कविता लिखना आसान, लेकिन मैथ्स के सॉल्यूशन में AI की भी अटक जाती है सांस, क्यों फेल हो जाता है चैटबॉट

Tech News: ओपन AI के ChatGPT जैसे चैटबॉट अक्सर ह्यूमन लेवल की क्षमता के साथ कविता लिख ​​सकते हैं, किताबों का सारांश दे सकते हैं और सवालों के जवाब दे सकते हैं।

Reported by: Kunal Verma
Follow: Google News Icon
  • share
कविता लिखना आसान, लेकिन मैथ्स के सॉल्यूशन में AI की भी अटक जाती है सांस | Image: Republic/FreePik
Advertisement

New Delhi: ओपन AI के ChatGPT जैसे चैटबॉट अक्सर ह्यूमन लेवल की क्षमता के साथ कविता लिख ​​सकते हैं, किताबों का सारांश दे सकते हैं और सवालों के जवाब दे सकते हैं। हालांकि, मैथ्य के सॉल्यूशन में उसकी भी सांस अटक जाती है।

आपको बता दें कि AI के चैटबॉट मैथ्य के सवालों का जवाब तो देते हैं, लेकिन कैलकुलेशन से नहीं, बल्कि प्रोबेबिलिटी से। इस वजह से इन सॉल्यूशन पर विश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि अधिकतर मामलों में ये जवाब गलत होते हैं।

Advertisement

मैथ्स में क्यों फेल होता है चैटबॉट?

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर विज्ञान के प्रोफेसर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता शोधकर्ता क्रिस्टियन हैमंड ने कहा, AI चैटबॉट्स को मैथ्स में कठिनाई होती है क्योंकि उन्हें मैथ्स के प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया था।'

AI कठोर नियमों के साथ प्रोग्राम नहीं किया जाता है, बल्कि बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके सीखता है। यह अपने द्वारा ग्रहण की गई सभी सूचनाओं के आधार पर लैंग्वेज जेनरेट करता है, ठीक वैसे ही जैसे मनुष्य करते हैं।ये भी एक कारण है कि AI चैटबॉट उन आसान मैथ्स की प्रॉब्लम्स को भी सॉल्व नहीं कर पाते जिनके समाधान तक पहुंचने के लिए कई चरणों की आवश्यकता होती है।

Advertisement

कंपनी का क्या कहना है?

ओपन AI ने एक बयान में कहा- 'मैथ्स हमारे रिसर्च का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और एक ऐसा क्षेत्र जहां इसके वैज्ञानिकों ने लगातार प्रगति की है। कंपनी ने कहा कि जीपीटी के उसके नए वर्जन ने विजुअल परसेप्शन और मैथेमेटिकल रिजनिंग की आवश्यकता वाली हजारों समस्याओं के सार्वजनिक डेटाबेस पर लगभग 64 प्रतिशत सटीकता हासिल की है। यह पिछले वर्जन के मुकाबले 58 प्रतिशत अधिक है। कंपनी ने ये भी बताया कि जैसे-जैसे AI चैटबॉट को बड़ी मात्रा में ट्रेनिंग डेटा जैसे - किताबें, ड्रिल और टेस्ट के बारे में जानकारियां मिलती जाती है, उनकी क्षमता में विस्तार होता जाता है। 

ये भी पढ़ेंः 'मैं कहीं नहीं जा रहा...',राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से किनारा करने के बाद बाइडेन ने ऐसा क्यों कहा?

Advertisement

20:23 IST, July 23rd 2024