Published 07:59 IST, October 11th 2024
Shardiya Navratri 2024: करने जा रहे हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा तो जरूर पढ़ें ये चालीसा
Maa Siddhidatri Puja: शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करते समय आपको इस चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।
- धर्म और आध्यात्मिकता
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Shri Mahalakshmi Chalisa ka Paath: शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा की जाती है। इस दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा कर कन्या पूजन करने के बाद नवरात्रि के उत्सव का समापन करते हैं। माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों के सभी दुख-कष्टों का नाश कर उनके जीवन को खुशियों से भर देती हैं।
मां सिद्धिदात्री को सच्चे मन से याद करने पर माता भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं। ऐसे में अगर आप भी मां सिद्धिदात्री की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको उनकी पूजा करते समय श्री महालक्ष्मी चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में खुशहाली तो बनी ही रहेगी साथ ही घर में धन की कमी भी कभी नहीं होगी। आइए जानते हैं इस बारे में।
श्री महालक्ष्मी चालीसा (Shri Mahalakshmi Chalisa)
दोहा
जय जय श्री महालक्ष्मी, करूँ मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिये, निज शिशु सेवक जान॥
चौपाई
नमो महा लक्ष्मी, जय माता। तेरो नाम जगत विख्याता।
आदि शक्ति हो मात भवानी, पूजत सब नर मुनि ज्ञानी।
जगत पालिनी, सब सुख करनी, निज जनहित भण्डारण भरनी।
श्वेत कमल दल पर तव आसन, मात सुशोभित है पद्मासन।
श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण, श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन।
शीश छत्र अति रूप विशाला, गल सोहे मुक्तन की माला।
सुंदर सोहे कुंचित केशा, विमल नयन अरु अनुपम भेषा।
कमलनाल समभुज तवचारि, सुरनर मुनिजनहित सुखकारी।
अद्भूत छटा मात तव बानी, सकल विश्व कीन्हो सुखखानी।
शांतिस्वभाव, मृदुलतव भवानी, सकल विश्वकी हो सुखखानी।
महालक्ष्मी, धन्य हो माई, पंच तत्व में सृष्टि रचाई।
जीव चराचर तुम उपजाए, पशु पक्षी नर नारी बनाए।
क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए, अमितरंग फल फूल सुहाए।
छवि विलोक सुरमुनि नरनारी, करे सदा तव जय-जय कारी।
सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं, तेरे सम्मुख शीश नवावैं।
चारहु वेदन तब यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाये।
जापर करहु मातु तुम दाया, सोइ जग में धन्य कहाया।
पल में राजाहि रंक बनाओ, रंक राव कर बिमल न लाओ।
जिन घर करहु मात तुम बासा, उनका यश हो विश्व प्रकाशा।
जो ध्यावै, से बहु सुख पावै, विमुख रहे हो दुख उठावै।
महालक्ष्मी, जन सुख दाई, ध्याऊं तुमको शीश नवाई।
निज जन जानीमोहीं अपनाओ, सुखसम्पति दे, दुख नसाओ।
ॐ श्री-श्री जयसुखकी खानी, रिद्धिसिद्ध देउ मात जनजानी।
ॐ ह्रीं-ॐ ह्रीं सब व्याधिहटाओ, जनउन विमल दृष्टिदर्शाओ।
ॐ क्लीं-ॐ क्लीं शत्रुन क्षयकीजै, जनहित मात अभय वरदीजै।
ॐ जयजयति जयजननी, सकल काज भक्तन के सरनी।
ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी, तरणि भंवर से पार उतारनी।
सुनहु मात, यह विनय हमारी, पुरवहु आशन करहु अबारी।
ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै, सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै।
रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई, ताकी निर्मल काया होई।
विष्णु प्रिया, जय-जय महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
पुत्रहीन जो ध्यान लगावै, पाये सुत अतिहि हुलसावै।
त्राहि त्राहि शरणागत तेरी, करहु मात अब नेक न देरी।
आवहु मात, विलम्ब न कीजै, हृदय निवास भक्त बर दीजै।
जानूं जप तप का नहिं भेवा, पार करो भवनिध वन खेवा।
बिनवों बार-बार कर जोरी, पूरण आशा करहु अब मोरी।
जानि दास मम संकट टारौ, सकल व्याधि से मोहिं उबारौ।
जो तव सुरति रहै लव लाई, सो जग पावै सुयश बड़ाई।
छायो यश तेरा संसारा, पावत शेष शम्भु नहिं पारा।
गोविंद निशदिन शरण तिहारी, करहु पूरण अभिलाष हमारी।
दोहा
महालक्ष्मी चालीसा, पढ़ै सुनै चित लाय।
ताहि पदारथ मिलै, अब कहै वेद अस गाय॥
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Updated 07:59 IST, October 11th 2024