Published 07:33 IST, October 6th 2024
Navratri Maa kushmanda Stotra: मां कुष्मांडा के कवच और स्तोत्र का करें पाठ
Shardiya Navratri Maa kushmanda Stotra: शारदीय नवरात्रि पर आप मां कुष्मांडा के इन स्त्रोत का पाठ करें। जानते हैं उनके बारे में...
Shardiya Navratri Maa kushmanda Stotra: सनातन धर्म में नवरात्रों का बेहद दिन ऊंचा स्थान है। ऐसे में नवरात्रि के हर दिन अलग-अलग मांओं की पूजा करके प्रसन्न किया जाता है और अपने दुख दर्द को दूर करने की कामना की जाती है। बता दें कि शारदीय नवरात्रों का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। यदि आप भी इस दिन मां को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके स्रोत पढ़ कर आप अपनी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं।
आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि मां कुष्मांडा के कौन से स्रोत आपको पढ़ने चाहिए। पढ़ते हैं आगे…
मां कुष्मांडा का स्तोत्र (Maa kushmanda Stotra)
पहला स्तोत्र
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्र गदा जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिण रत्नकुण्डल मण्डिताम्।
प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम्।
कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥
दूसरा स्तोत्र
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।
परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
मां कुष्मांडा का कवच
हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥
मां कुष्मांडा का ध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
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Updated 07:33 IST, October 6th 2024