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Mahabharat: युधिष्ठिर ने कुंती को क्यों और कौन सा दिया था श्राप? जिसे कलयुग में भुगत रही हैं महिलाएं
Mahabharat से जुड़े कई किस्से ऐसे हैं जो हैरान करने के साथ-साथ सीख भी देते हैं। ऐसा ही एक किस्सा युधिष्ठिर और मां कुंती से जुड़ा है। आइए उसके बारे में जानें...
- धर्म और आध्यात्मिकता
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Yudhishthir Ne Kunti Ko Kyu Diya Shrap: इतिहास (History) के सबसे बड़े युद्ध (War) के रुप में जाने जानें वाले द्वापर युग के महाभारत की कहानियां (Stories of Mahabharata) आज भी लोगों की जुबान पर है। इस युद्ध से जुड़े कई किस्से अक्सर ही सुनने को मिलते हैं, जो न सिर्फ व्यक्ति को हैरान कर जाते हैं, बल्कि वह जीवन की सीख भी देते हैं। वहीं कई बार इन किस्सों के जरिए कुछ ऐसी बातों का भी पता चलता है, जो आज के युग यानी कलयुग (Kalyug) में भी देखने को मिलती है। ऐसा ही एक किस्सा पांडव के जेष्ठ पुत्र यानी धर्मराज युधिष्ठिर (Dharmaraj Yudhishthir) से भी जुड़ा है। जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। आइए उसके बारे में जानते हैं।
पौराणिक कथाओं (Mythology) के मुताबिक, द्वापर युग में हुआ महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था (Kitne Dino Tak Chala Tha Mahabharat Ka Yudh) और युद्ध के हर दिन कुछ न कुछ विशेष घटना घटित हुई थी, जो लोगों के लिए आज भी शिक्षा, संदेश और उपदेश की तरह है। वहीं इस युद्ध के अंत में धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी ही मां कुंती (Kunti) को एक भयंकर श्राप तक दे दिया था, जिसका परिणाम महिलाएं आज तक भुगत रही हैं। तो चलिए जानते हैं कि वह कौन सा श्राप था और युधिष्ठिर (Yudhishthir) ने अपनी ही मां को क्यों दिया था?
अपनी ही मां कुंती को युधिष्ठिर ने क्यों दिया था श्राप, क्या है कहानी? (Yudhishthir Ne Kunti Ko Kyu Diya Shrap?)
कथा के अनुसार, जब कर्ण (Karna) की मृत्यु के बाद माता कुंती कर्ण के शव को अपनी गोद में लेकर रो रही थीं, तो पांडवों ने इसे देखा और कारण पूछा। कुंती ने उन्हें बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा पुत्र था, जिसे उन्होंने छुपकर जन्म दिया था। वह यह रहस्य लंबे समय तक छुपाए रखी थीं, क्योंकि कर्ण को द्रुपद के घर में छोड़ दिया गया था और वह नहीं चाहती थीं कि यह तथ्य कभी सामने आए।
युधिष्ठिर ने मां कुंती को क्या श्राप दिया था? (Yudhishthir Ne Kunti Ko Kya Shrap Diya Tha?)
इस पर युधिष्ठिर क्रोधित हो गए और अपनी माता कुंती को एक भयंकर श्राप दे दिया। जिसे महिलाएं आज तक भुगत रही हैं। युधिष्ठिर ने कहा, 'अब से पूरी स्त्री जाति कोई भी बात अपने पेट में नहीं छिपा पाएगी।' युधिष्ठिर का यह क्रोध इस बात से था कि माता कुंती ने इतने वर्षों तक कर्ण का रहस्य छुपाए रखा था, जबकि वह उनके वास्तविक पुत्र थे। इस श्राप के बाद माना जाता है कि महिलाओं के लिए यह मान्यता बन गई कि वे अपने दिल की बातें या विचार छिपा नहीं सकतीं और उनकी बातें अक्सर बाहर आ जाती हैं।
यह श्राप एक सांस्कृतिक धारणा के रूप में स्वीकार किया गया, जो आज भी यह समझाने में मदद करता है कि क्यों महिलाएं अपने भावनाओं और विचारों को अक्सर खुलकर व्यक्त करती हैं और कई बार समाज में महिलाओं के द्वारा गुप्त बातें जल्दी सामने आ जाती हैं।
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अपडेटेड 19:30 IST, December 10th 2024