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पब्लिश्ड 15:26 IST, January 22nd 2025

BREAKING: ओवैसी की पार्टी को बड़ा झटका, AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन को नहीं मिली अंतरिम जमानत; दूसरी बेंच करेगी सुनवाई

ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों का फैसला अलग-अलग रहा। इस स्थिति में दूसरी बेंच मामले में सुनवाई करेगी।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Dalchand Kumar
SC delievers split verdict to interim bail plea of Tahir Hussain | Image: ANI

Tahir Hussain: दिल्ली विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए AIMIM उम्मीदवार और दिल्ली दंगों में आरोपी ताहिर हुसैन को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जजों की आपसी सहमति ना बन पाने की स्थिति में मामला अब दूसरी बेंच को भेज दिया जाएगा। जस्टिस पंकज मिथल ने अपने फैसले में ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत देने से साफ इनकार किया, लेकिन जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने अंतरिम जमानत देने का फैसला सुनाया। इस स्थिति में अब तीन जजों की दूसरी बेंच सुनवाई करेगी और तय करेगी कि क्या ताहिर को जमानत दी जाए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय ताहिर के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि उन्हें पिछले 4 सालों से अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रखा गया है। मार्च 2020 से लगातार हिरासत में है। जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि उनके खिलाफ एक हत्या का मामला भी है, जिसमें एक सरकारी अधिकारी मारा गया था। ये सिर्फ दंगे का ही नहीं। ताहिर के वकील ने सफाई दी कि उनका कोई पिछला रिकॉर्ड नहीं है। सिर्फ एक भ्रष्टाचार का मामला था, जिसमें उसे बरी कर दिया गया था। जस्टिस मिथल ने कहा कि सवाल ये है कि क्या उसे अंतरिम जमानत दी जा सकती है, जबकि उनका पिछला रिकॉर्ड इतना खराब है। ताहिर के वकील ने कहा कि किसी राजनीतिक पार्टी के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत नहीं मांग रहा। ये अपने लिए प्रचार करने के लिए मांग रहा है और बीमारी का बहाना नहीं बना रहा है।

दिल्ली पुलिस ने अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया

दिल्ली पुलिस ने ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया और कहा कि ये याचिका चुनाव को आधार बनाकर जेल से बाहर आने का नाटक है। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हम केस की गंभीरता को समझ रहे हैं लेकिन 4 साल जेल में रहने और अन्य मामलों में जमानत मिलने के बाद क्या एक मामले मे अंतरिम जमानत दी जा सकती है, ये देखना होगा। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि ताहिर की छत पर बड़ी संख्या में पत्थर, मोर्टार, हथियार बरामद किए गए थे। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ताहिर हुसैन गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में है। बड़ी संख्या में लोगों ने बिना प्रचार किए जेल से नामांकन दाखिल किया है और चुनाव लड़ा है, इसलिए प्रचार करने का कोई अधिकार नहीं है। जहां तक नामांकन की बात थी, उसकी प्रक्रिया कुछ घंटों की होती है।

जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को ट्रायल कोर्ट के फैसले का इंतजार क्यों करना चाहिए। हम ये अनुमान नहीं लगा सकते कि उन्हें जमानत नहीं मिलेगी। दिल्ली पुलिस कि चुनाव के लिए प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है। ये न तो संवैधानिक है और न ही मौलिक अधिकार के दायरे में आता है। जस्टिस मिथल ने कहा कि अगर उसे सभी मामलों में जमानत नहीं मिलती है तो इस अंतरिम जमानत का मतलब ये नहीं है कि वो बाहर आ जाएगा। पहले ट्रायल कोर्ट में जाइए और उन दो मामलों में जमानत लें और फिर यहां आएं। दिल्ली पुलिस ने कहा कि जब टिकट दिया गया तब भी वो हिरासत में थे। उनकी पार्टी भी जानती है कि वो प्रचार नहीं कर पाएंगे। टिकट एक राजनीतिक पार्टी ने दिया है और राजनीतिक पार्टी सभी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करती है।

सुप्रीम कोर्ट ने विभाजित फैसला दिया

बहस के बाद अदालत जब आखिरी नतीजे पर पहुंची तो दोनों जजों की राय अलग थी। जस्टिस पंकज मिथल ने AIMIM उम्मीदवार और दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की याचिका खारिज कर दी, जिसमें दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। जबकि जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि हुसैन को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए। इस स्थिति में ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का ये विभाजित फैसला आया।

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अपडेटेड 15:50 IST, January 22nd 2025

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