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पब्लिश्ड 07:55 IST, December 10th 2024

Bajrang Baan: मंगलवार को जरूर करें बजरंग बाण का पाठ, जानिए कितनी बार करना रहेगा लाभकारी

Hanumanji Ki Puja: अगर आप सभी संकटों से उबरना चाहते हैं तो आपको बजरंग बाण का पाठ जरूर करना चाहिए।

भगवान हनुमान | Image: Pexels

Bajrang Baan Ka Path: हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित किया गया है। इस दिन पूरे विधि विधान से हनुमानजी की पूजा करने के साथ-साथ उनका व्रत भी किया जाता है। कहते हैं हनुमान जी की आराधना करने से वह जल्दी प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्टों का निवारण करते हैं इसीलिए उन्हें संकटमोचन भी कहा जाता है।

वहीं, अगर आप किसी भी प्रकार के संकट से जूझ रहे हैं या आपके बने बनाए काम बिगड़ रहे हैं तो आपको हनुमान जी की पूजा करने के साथ-साथ हनुमान चालीसा के बाद कम से कम 11 या 21 बार बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। इससे आपके सभी दुख दूर होंगे और हनुमान जी की कृपा भी आप और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहेगी। तो आइए जानते हैं बजरंग बाण के पाठ के बारे में।

श्री बजरंग बाण पाठ (Bajrang Baan ka path)

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौड़ि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

जाय बिभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महं बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंका को जारा॥
लाह समान लंका जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

अब बिलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अंतर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर भए दुःख हरहु निपाता॥
जै गिरिधर जै जै सुख सागर। सुर-समूह-समर्थ भटनागर॥

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज प्रभु दास उबारो॥

ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलंब न लावो॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीशा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥

सत्य होहु हरि शपथ पायके।
राम दूत धरु मारु जाय के॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा॥

पूजा, जप, तप, नेम, आचारा।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा॥
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥

पांय परौं कर जोरि मनावौं।
येहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥
जय अंजनि कुमार बलवंता।
शंकर सुवन वीर हनुमंता॥

बदन कराल काल कुल घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर।
अग्नि बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की।
राखउ नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरि दास कहावो।
ताकी शपथ बिलंब न लावो॥

जय जय जय धुनि होत अकासा।
सुमिरत होय दुसह दुःख नाशा॥
चरण शरण कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई।
पाँय परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो।
सुमिरत होय आनंद हमरो॥

यह बजरंग बाण जेहि मारै।
ताहि कहो फिरि कौन उबारै॥
पाठ करै बजरंग बाण की।
हनुमत रक्षा करै प्राण की॥

यह बजरंग बाण जो जापै।
ताते भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेशा।
ताके तन नहिं रहै कलेशा॥

दोहा

प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 07:55 IST, December 10th 2024

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