पब्लिश्ड 11:25 IST, April 1st 2024
9 साल पहले मर चुका होता मुख्तार; सुपारी किलर लंबू, गर्लफ्रेंड नगीना और मिशन माफिया की INSIDE STORY
Mukhtar Ansari Story: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) मुश्तैदी नहीं दिखाती तो मुख्तार अंसारी का काम साल 2015 में ही तमाम हो जाता।
- भारत
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Mukhtar Ansari Inside Story: कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की मौत हो चुकी है। उसकी मौत के बाद हर तरफ उससे जुड़ी खबरें तैर रही हैं। इस बीच एक खबर ये भी सामने आई है कि अगर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) मुश्तैदी नहीं दिखाती तो मुख्तार अंसारी का काम साल 2015 में ही तमाम हो जाता। मुख्तार को गोली या धारदार हथियार से नहीं बल्कि 'सुसाइड बॉम्बर' (Suicide Bomber) से मारने की साजिश की गई थी।
बिहार के एक कुख्यात सुपारी किलर को इसका जिम्मा दिया गया था। ये सौदा 6 करोड़ में तय हुआ था। जी हां 23 जून 2015 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court) में मुख्तार को मारने की पूरी प्लानिंग थी लेकिन उससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने किलर को दबोच लिया। आइए विस्तार से बताते हैं पूरी कहानी
मुख्तार के जानी दुश्मनों ने दी थी सुपारी
9 साल पहले यानी साल 2015 में मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह (Brajesh Singh) और सुनील पांडे (Sunil Pandey) ने मुख्तार को मारने का प्लान तैयार किया। इसके लिए उन दोनों को एक ऐसी सुपारी किलर की खोज थी जो इस काम में महारत रखता हो। जो मिशन पर निकले तो कामयाबी के साथ वापस आए। बृजेश और सुनील ने इस काम के लिए बिहार के जेल में बंद सच्चिदानंद उर्फ लंबू शर्मा (sachidanand alias lambu sharma) को चुना।
लंबू शर्मा जेल में बंद माओवादी भारत सक्सेना का चेला और महज 12 साल की उम्र में मर्डर कर क्राइम की दुनिया में अपना नाम बना चुका था। बम बनाना तो उसके लिए बच्चों का खेल था। मुख्तार को मारने के लिए लंबू का आरा जेल से निकलना जरूरी था।
जेल से भागने के लिए लंबू ने बनाया प्लान, गर्लफ्रेंड नगीना को सौंपा जिम्मा
लंबू ने इस काम के लिए अपनी गर्लफ्रेंड नगीना को तैयार किया। प्लान कुछ ऐसा था कि लंबू जब कोर्ट में पेशी के लिए आएगा तो नगीना सुसाइड बॉम्बर बनकर धमाका करेगी और इसी का फायदा उठाकर वो भाग निकलेगा। 23 जनवरी 2015 का दिन था। पुलिस वैन में लंबू कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचा। नगीना कोर्ट के बाहर ही एक टिफिन लेकर खड़ी थी और फोन पर किसी से बात कर रही थी।
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पुलिस वैन जैसे ही कोर्ट पहुंची नगीना उस तरफ बढ़ी। दो पुलिसवाले उसे रोकने के लिए पहुंचे तबतक धमाका हो गया। धमाका इतना भयंकर था कि नगीना के चिथड़े उड़ गए। वहीं उसे रोकने आए एक पुलिसवाले की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। कोर्ट में भगदड़ मच गई और इसी का फायदा उठाकर लंबू फरार हो गया।
अब मुख्तार को मारना लंबू का काम था
लंबू अब मिशन मुख्तार पर निकल चुका था। उसे एक सुसाइड बॉम्बर की तलाश थी। उधर बृजेश और सुनील ने सुपारी की रकम के तौर पर लंबू को 50 लाख एडवांस दे दिया। 23 जून 2015 का दिन मुकर्रर हुआ और दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में मुख्तार की पेशी थी।
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लंबू दिल्ली के लिए निकल चुका था। इधर दिल्ली पुलिस को भनक लग गई कि लंबू ने बम बनाने का सामान खरीदा है। बस स्पेशल सेल ने पूरे कोर्ट को छावनी में बदल दिया और लंबू की साजिश को नाकाम करने में जुट गई।
लंबू पकड़ा गया और मुख्तार की जान बच गई
स्पेशल सेल को इनपुट मिला कि लंबू महाराणा प्रताप आईएसबीटी के आसपास है। सादे कपड़े में आईएसबीटी पहुंची दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लंबू को पकड़ लिया और इसी के साथ मुख्तार अंसारी को कोर्ट के बाहर ही सुसाइड बॉम्बर के जरिए मारने की कोशिश नाकाम हो गई। लंबू शर्मा फिलहाल बिहार की एक जेल में बंद है। उसे दो अलग-अलग मामलों में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है।
अपडेटेड 11:35 IST, April 1st 2024