Published 23:43 IST, August 9th 2024
'आसन के अधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती', धनखड़ पर पक्षपात के आरोप पर बोले रीजिजू
विपक्षी दल धनखड़ को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत प्रस्ताव लाने की खातिर नोटिस देने पर विचार कर रहे हैं।
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संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजिजू ने शुक्रवार को कहा कि प्रत्येक सांसद को संसदीय नियमों और परंपराओं का पालन करना चाहिए तथा सभापति के अधिकार को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह टिप्पणी विपक्ष द्वारा राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपात के आरोप लगाए जाने के बाद की। रीजिजू ने कहा कि वह आसन से जुड़े मामले पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिए जो आसन के अधिकार को चुनौती देने जैसा हो।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'हम नियमों और स्थापित परंपराओं से बंधे हैं। प्रत्येक सदस्य को उनका पालन करना चाहिए। मुझे लगता है कि अगर अनुचित चीजें हुई हैं तो हम सभी आत्मनिरीक्षण करेंगे। सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए, प्रत्येक सदस्य को जिम्मेदार तरीके से व्यवहार करना होगा।'
संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त होने पर रीजीजू ने कहा कि यह कई वर्षों में पहला सत्र था जब व्यवधान के कारण एक भी दिन बर्बाद नहीं हुआ।
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उन्होंने सभी दलों के सामूहिक प्रयासों और सांसदों की भागीदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार के विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है।
मंत्री के अनुसार, एक जीवंत लोकतंत्र में कभी-कभी शोर-शराबा या मुखर विरोध हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद आपसी आदान-प्रदान में कोई कठिनाई नहीं होती है।
धनखड़ और इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच सदन के अंदर टकराव देखने को मिला। विपक्षी दल धनखड़ को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत प्रस्ताव लाने की खातिर नोटिस देने पर विचार कर रहे हैं।
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23:43 IST, August 9th 2024