Published 19:45 IST, October 18th 2024

EXCLUSIVE/ 'बटेंगे तो कटेंगे' बयान सेकुलरिज्म,नूपुर बोले तो सर तन से जुदा? पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने उठाए सवाल

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, 'कोई एक बेटी सच बोले तो एक महजब के लोग चौराहे-चौराहे पर निकलकर खड़े होंगे और कहेंगे कि सर तन से जुदा हो जाएगा।'

Reported by: Ravindra Singh
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'बटेंगे तो कटेंगे' बयान सेकुलरिज्म,नूपुर बोले तो सर तन से जुदा? पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने उठाए सवाल | Image: PTI/X/Republic Video Grab
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Nationalist thinker Pushpendra Kulshreshtha on Bantoge to Katoge: रिपब्लिक समिट के 'राष्ट्र सर्वोपरि सम्मेलन' में पहुंचे राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने सेक्युलरिज्म को लेकर अपने विचार रखे। इस दौरान जब समिट के एंकर सैय्यद सुहैल ने उनसे हरियाणा चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ के दिए गए संदेश 'बटेंगे तो कटेंगे' को लेकर ये सवाल पूछा कि 'बटेंगे तो कटेंगे' क्या मैसेज देता है और ये क्यों जरूरी है? तो इस सवाल के जवाब में पुष्पेंद्र ने बहुत ही बेबाक अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'ये एक बहुत अच्छा संदेश है लेकिन ये संदेश देर से आया है। ये संदेश तो काफी पहले ही आ जाना चाहिए था।'


पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, 'कोई एक बेटी सच बोले तो एक महजब के लोग चौराहे-चौराहे पर निकलकर खड़े होंगे और कहेंगे कि सर तन से जुदा हो जाएगा। उनके सिलसिले में लोग अपना सेक्युलिरिज्म लेकर नहीं आते हैं। उनके बारे में लोग ये सवाल नहीं पूछते हैं कि भाई ये क्या तरीका है? उन्होंने आगे कहा, 'इस देश में सच बोलने वालों को लोग हेड मोंगर कहने लगे हैं और झूठ बोलने वाले लोग इंटेलैक्चुअल कहलाने लगे हैं। 1947 में योगी जी नहीं थे तब 10 लाख सनातनी हिन्दुओं की गरदन काट के देश भी बंटा और सत्ता भी बनी और एक पार्टी ने देश देश भी लिया। तो सवाल ये है कि बंटने की बात जब कही जाती है तो उन लोगों के दिमाग में आता है कि ये कुछ खास लोगों से कहा जा रहा है।'

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...तब कहां चला जाता है इनका सेक्युलिरिज्म?

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने आगे कहा,'अगर कोई बेटी सच बोले तो एक महजब के लोग चौराहे-चौराहे पर निकलकर खड़े होंगे और कहेंगे कि सर तन से जुदा हो जाएगा। उनके सिलसिले में लोग अपना सेक्युलिरिज्म लेकर नहीं आते हैं। उनके बारे में लोग ये सवाल नहीं पूछते हैं कि भाई ये क्या तरीका है? अगर किसी ने कोई बात कही तो आप उसे इंटेलेक्चुली उसे काउंटर करें। आप तलवार के जोर पर किसी कन्हैया की गरदन काट देंगे और इस देश के 80 से 90 करोड़ लोगों को डराने की कोशिश करेंगे।' उन्होंने आगे कहा, 'भारत बदला है और 'बटेंगे तो कटेंगे' ये मैंने पहले भी कहा कि ये बयान काफी देर से आया है। ये बयान काफी अच्छा बयान है और ऐसे बयान आते रहने चाहिए।'


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राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, सिखों के गुरद्वारे में कोई एक आतंकवादी छिपकर चला गया तो तत्कालीन सरकार ने तोप-गोले सब लगा दिए थे। वहीं दूसरी तरफ तरारे शरीफ में जब आतंकी मस्जिद में घुस गए थे तो उन्हें बिरियानी परोसी गई थी। ये सबसे बड़ा झूठ है कि भारतीय संविधान सेक्युलर है। संविधान के होने के बावजूद भी ये कहा जाता है कि तुम सेक्युलर रहो बाकी सब नहीं रहेंगे।

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'बंटोगे तो कटोगे' को क्यों मिली भारतीय सियासत में जगह?

पुष्पेंद्र ने आगे कहा, 'देश के तमाम लोगों से कहा जा रहा है बंटने के लिए आपके जेहन में ये खयाल क्यों आने लगता है कि ये सिर्फ हिन्दुओं के लिए कहा जा रहा है ये तो आपकी सोच है। इसलिए इस बयान को भारतीय राजनीति में जगह दी गई है क्योंकि इसी के कारण देश बंटा, इसी के कारण कश्मीर हुआ, इसी के कारण केरला हुआ, दिल्ली हुआ देश का कोई ऐसा कोना नहीं बचा जहां सांप्रदायिकता चरम पर हो और लोगों को काटकर के चिल्लाकर के.... नूपुर शर्मा इसकी जीती जागती मिसाल हैं।' बंटेंगे में तो कटेंगे जो बांग्लादेश में हो रहा है या जो पाकिस्तान में हुआ है उसे देखते हुए ये कहा जा रहा था। ऐसी परिस्थितियां यहां भी न बनने पाएं इसलिए ऐसी बयानबाजी हुई है।

 

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