पब्लिश्ड 19:19 IST, June 25th 2024
Explainer: पहली नहीं, तीसरी बार हो रहा लोकसभा स्पीकर का चुनाव, ये रही 72 साल की चुनाव हिस्ट्री
Lok Sabha Speaker: ये पहली बार नहीं जब आजाद भारत में लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो रहा है। इससे पहले 1952 और 1976 में स्पीकर पद के लिए चुनाव हो चुका है।
- भारत
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Lok Sabha Speaker Elections: लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सरकार और विपक्ष के बीच आम-सहमति नहीं बन पाई है। नॉमिनेशन की डेडलाइन से ठीक पहले विपक्ष की तरफ से कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश (K Suresh) ने अपना नामांकन दाखिल किया। इससे पहले NDA की तरफ से बीजेपी सांसद ओम बिरला (Om Birla) ने अपना नॉमिनेशन फाइल किया था। आजाद भारत के इतिहास में यह तीसरी बार है, जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो रहा है।
लोकसभा स्पीकर के चयन को जद्दोजहद जारी है। ऐसे में स्पीकर का चयन अब चुनाव के माध्यम से कराया जाएगा। ये पहली बार नहीं जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो रहा है। इससे पहले 1952 और 1976 में स्पीकर पद के लिए चुनाव हो चुका है। आजाद भारत में पहली बार 1952 में लोकसभा स्पीरकर के चुनाव हुए थे और 1952 में ही पहली बार लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। ये मुकाबला जी.वी मालवणकर और शंकर शांताराम के बीच हुआ था। इसके बाद 1976 में इमरजेंसी के दौरान दूसरी बार बालीग्राम भगत और जगन्नाथ राव के बीच लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ था।
जीवी मावलंकर (1952-1956)
1952 में हुए लोकसभा स्पीकर चुनाव में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया (PWP) के शंकर शांताराम मोरे को हराकर जी.वी मालवणकर नवगठित लोकसभा के अध्यक्ष बने रहे। इस चुनाव में मालवणकर को 394 वोट मिले जबकि शांताराम को 55 ही वोट मिली थे।
बलिराम भगत (1976-1977)
1952 के बाद 1976 में दूसरी बार आपातकाल के दौरान लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। विरोध प्रदर्शनों के बीच बलिराम भगत अध्यक्ष बने और 1977 तक कार्यरत रहे। इसके बाद उन्होंने 1985 से 1986 तक राजीव गांधी सरकार में विदेश मंत्री का पद संभाला। 1976 में ही भारतीय संविधान का 42वां संशोधन हुआ था।
तीसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव
अमूमन लोकसभा स्पीकर का चयन सरकार और विपक्ष की सहमति से हो जाता है। 1976 के बाद से यह परंपरा चली आ रही थी, लेकिन इस बार विपक्षी खेमे ने अडंगा डाल दिया है। भारत की आजादी के बाद 18वीं लोकसभा में यह तीसरी बार है जब लोकसभा स्पीकर के लिए चुनाव होगा। इस बार मुकाबला ओम बिरला और के सुरेश के बीच होगा। विपक्ष और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई है। विपक्षी गठबंधन ने डिप्टी स्पीकर का पद मांगा था, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी।
लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी
लोकसभा स्पीकर का पद एक बेहद गंभीर संवेदनशील पद माना जाता है। क्योंकि सदन के कामकाज को ठीक से चलाने की जिम्मेदारी लोकसभा अध्यक्ष पर ही होती है। संसदीय बैठकों का एजेंडा भी लोकसभा अध्यक्ष ही तय करते हैं। सदन में किसी तरह का विवाद पैदा होने पर कार्रवाई करने का अधिकार भी लोकसभा अध्यक्ष के पास है। लोकसभा की अलग-अलग समितियों का गठन अध्यक्ष ही करते हैं। फिलहाल इस बार देखने बेहद दिलचस्प होगा कि ओम बिरला और के सुरेश के बीच कौन बाजी मारता है।
अपडेटेड 19:19 IST, June 25th 2024