Published 18:14 IST, December 24th 2024
वीभत्स.... 9 साल की बच्ची से दरिंदगी फिर हत्या और शव के साथ रेप, इस घटना पर कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक 9 साल की बच्ची के साथ रेप-मर्डर और फिर शव से दुष्कर्म मामले में कहा कि लाश से यौन संबंध रेप नहीं है।
- भारत
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हाल ही में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की तरफ से एक मामले में सुनवाई के दौरान ये कहा गया कि मृतक के शव के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है। छत्तीसगढ़ HC ने कहा है कि शव के साथ यौन संबंध बनाना (नेक्रोफीलिया) सबसे जघन्य अपराधों में से एक है, लेकिन यह भारतीय दंड संहिता (IPC) या यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम (POCSO) अधिनियम के तहत दंडनीय 'बलात्कार' के अपराध की कैटेगरी में नहीं आता।
जस्टिस न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की बेंच ने टिप्पणी की है कि बलात्कार के अपराध के लिए पीड़िता का जीवित होना जरूरी है। छत्तीसगढ़ HC कोर्ट ने इस मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से रंगराजू बनाम कर्नाटक राज्य (2023) के मामले में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा "भारतीय कानून शव के साथ यौन संबंध को "बलात्कार" नहीं मानते और IPC की धारा 376 के तहत अभियुक्त को दोषी ठहराने के लिए इसे उपयुक्त मानदंड नहीं मानते।"
9 साल की बच्ची के साथ रेप फिर हत्या और फिर शव के साथ रेप...
कोर्ट के सामने सुनवाई में जो मामले में आया है उसमें आरोपी नितिन यादव ने 9 साल की एक बच्ची का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। बात यहीं खत्म नहीं होती, हत्या करने के बाद आरोपी ने पीड़िता के शव को एक पहाड़ी पर ले जाकर उसके साथ नेक्रोफीलिया को अंजाम देता है और आखिरकार उसी पहाड़ी पर उसे दफना दिया गया। इस काम में आरोपी नितिन की मदद सह-आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश करता है।
गर्दन दबाकर मौत के घाट उतारा
जांच से पता चला है कि आरोपी यादव ने पीड़िता की गर्दन दबा दी थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई और उसके बाद वह शव को पीड़िता के अंडरगारमेंट्स और चप्पलों के साथ अपने घर ले गया और शव को घर के अंदर छिपा दिया। कोर्ट ने आगे कहा कि इसके बाद वह सह-आरोपी नीलकंठ से मिला और उसे घटना के बारे में बताया और शव को गायब करने में मदद भी मांगी और इस तरह वे दोनों शव को एक पहाड़ी पर ले गए, जहां आरोपी नीलकंठ ने पीड़िता के शव के साथ बलात्कार किया और फिर उसे दफना दिया।
कोर्ट ने निठारी हत्याकांड का दिया उदाहरण
कोर्ट ने निठारी हत्याकांड मामले का उदाहरण यहां पर देते हुए, सुरेंद्र कोली बनाम UP और अन्य के मामले में इलाहाबाद HC की ओर से दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 न केवल सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान करता है, बल्कि सम्मानजनक तरीके से मरने का अधिकार भी प्रदान करता है। कोर्ट ने कहा, "आरोपी द्वारा पीड़िता के शव पर किए गए अत्याचारों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने शारीरिक अखंडता, सहमति और गरिमा के सिद्धांतों को निर्धारित किया और यह भी देखा कि शव पर बलात्कार के मामले में, इन तीनों सिद्धांतों का उल्लंघन किया जाता है। भले ही भारतीय आपराधिक कानून ‘नेक्रोफीलिया’ को अपने आप में अपराध के रूप में मान्यता नहीं देते हैं, लेकिन एक मृतक के मानवाधिकारों को भी नकारा नहीं जा सकता है।"
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Updated 18:14 IST, December 24th 2024