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Published 20:11 IST, September 29th 2024

EXPLAINER/ नसरल्लाह की मौत पर भारत में मातम तो मुस्लिम देशों में जश्न; ईरान से सीरिया और लंदन तक बंट रही मिठाई

हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत पर भारत में लोग सड़कों पर उतरे तो वहीं कई इस्लामिक देशों में लोगों ने मिठाइयां बांटी। जानें आखिर क्यों?

Reported by: Kanak Kumari Jha
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नसरल्लाह की मौत का इस्लामिक देशों में जश्न, जानें वजह। | Image: AP/Screen Grab

इजरायल की हिजबुल्लाह और हमास के साथ जारी जंग के बीच मिडिल ईस्ट में तनाव जैसी स्थिति बनी हुई है। हिजबुल्लाह के चीफ शेख हसन नसरल्लाह की मौत का मिडिल ईस्ट के कई इस्लामिक देशों में मातम मनाया जा रहा है, तो कुछ देश ऐसे भी हैं, जो इसका जश्न मनाते नजर आ रहे हैं। हालांकि, भारत में  भी कुछ ऐसे राजनीतिक दल हैं, जिन्हें नसरल्लाह की मौत से दर्द हो रहा है। तभी तो राजनीतिक कार्यक्रमों को रद्द किया जा रहा है, लोग सड़कों पर उतरकर इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, ईरान से लेकर सीरिया और फिर लंदन तक मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा ना सिर्फ इजरायल का धन्यवाद कर रहा है, बल्कि खुशी से मिठाई भी बांट रहा है।

भारत के जम्मू-कश्मीर से कुछ तस्वीरें सामने आई, जिसमें लोग इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं पीडीपी चीफ और जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तो अपनी चुनावी रैलियां रद्द कर दी। इसके अलावा नसरल्लाह को शहीद भी करार दे दिया। इन सबके बीच नसरल्लाह की मौत की पुष्टि होते ही कई इस्लामिक देशों में लोग रात को ही जश्न मनाने सड़क पर उतर गए।

हिजबुल्लाह के समर्थक देशों में नसरल्लाह की मौत का जश्न

बता दें, ईरान और सीरिया को हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा समर्थक देश माना जाता है। हैरानी की बात ये है कि हिजबुल्लाह के समर्थक देश ही चीफ नसरल्लाह की मौत का जश्न मना रहे हैं। 27 सितंबर, शुक्रवार की शाम को इजरायल के एयरस्ट्राइक में हिजबुल्लाह चीफ मारा गया। शनिवार को हिजबुल्लाह द्वारा नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की गई।

सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ #IraniansStandwithIsrael

हालांकि, सीरिया की सरकार ने नसरल्लाह की हत्या की निंदा की, लेकिन सरकार के नियंत्रण से बाहर के क्षेत्रों में कुछ लोगों ने जश्न मनाया। इदलिब में लोगों ने शनिवार की सुबह-सुबह सीरियाई झंडे लहराए और मिठाइयां बांटी। इसके साथ ही नारा भी लगाया और सड़कों पर जमकर कार के हॉर्न बजाए। सोशल मीडिया पर शनिवार की शाम से ही #IraniansStandwithIsrael ट्रेंड कर रहा है।

सीरिया के कई विपक्षी समर्थक और कार्यकर्ता हिजबुल्लाह से नफरत करते हैं। इन्हें सीरिया के गृहयुद्ध में कई क्षेत्रों में विद्रोही ताकतों से लड़ाई लड़नी पड़ी, जिसके कारण विपक्षी गुटों को भारी नुकसान हुआ और हजारों लोगों को भागने पर मजबूर होना पड़ा।

ईरान के लोगों ने इजरायल का किया धन्यवाद

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो में इस्लामिक रिपब्लिक की कुछ महिलाएं भी जश्न मनाती नजर आईं। इजरायली मीडिया ने एक वीडियो शेयर किया, जिसमें एक महिला अपना चेहरा तो नहीं दिखा रही हैं, लेकिन फारसी में वो कह रही हैं, "ईरान के बच्चे, हसन नसरल्लाह की मौत पर सभी को बधाई संदेश भेजते हैं और ईरानी राष्ट्र को बधाई देते हैं।" इतना ही नहीं उन्होंने तो इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी धन्यवाद दिया।

लंदन में इजरायली एंबेसी के बाहर पहुंचे ईरानी

शाह समर्थक ईरानी भी लंदन में इजरायली दूतावास के बाहर इकट्ठा हुए और जश्न मनाया। यहां उन्होंने गीत गाए और हिजबुल्लाह के नेता की हत्या के लिए इजरायल को धन्यवाद दिया। अरब देशों के जाने-माने लोगों ने सोशल मीडिया पर मनाया जश्न। लेबनान के हिजबुल्लाह विरोधी पत्रकार नादिम कोटेइच ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट किया, "लेबनान के लिए सबसे खतरनाक बात हिजबुल्लाह की अनुपस्थिति नहीं है। लेबनान के भाग्य और भविष्य के लिए सबसे खतरनाक अनुपस्थिति पूर्ण लेबनानी राज्य की अनुपस्थिति है।"

उन्होंने कहा कि नसरल्लाह की मौत के बाद जो होना चाहिए था वह था "मैरोनाइट मुख्यालय में एक आपातकालीन बैठक... राष्ट्र को बचाने के लिए लेबनान के नाम पर एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करना और बिना किसी शर्त के संयुक्त राष्ट्र 1701 प्रस्ताव के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता।"

सऊदी अरब के लोगों ने भी मनाया जश्न

इजरायली मीडिया ने दावा किया कि सऊदी अरब के लोगों में भी नसरल्लाह की मौत से खुशी का माहौल है। इजरायली मीडिया के अनुसार सीरिया और सऊदी अरब के अन्य पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर 'एक युग के अंत' और 'अरबों, इस्लाम और दुनिया के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक की मौत' बताया। सऊदी के एक इन्फ्लुएंसर अब्दुल्ला अल-शेख ने लिखा, "इस खबर पर खुशी को बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "वह हिंसा, उग्रवाद, आतंकवाद और विश्वासघात का नेता था। नसरल्लाह की मौत का मतलब क्षेत्र में स्थिरता और शांति होगा।"

नसरल्लाह को लेकर क्यों बंटा इस्लामिक देश?

नसरल्लाह की मौत पर कुछ देशों में मातम है तो कुछ देशों में जश्न का माहौल है। साल 2000 में नसरल्लाह के नेतृत्व में इजरायली सेना को दक्षिणी लेबनान छोड़कर वापस जाने पर मजबूर होना पड़ा। इजरायली सेना बीते 18 साल से यहां थी, लेकिन नसरल्लाह के नेतृत्व ने IDF के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। इसके बाद हिजबुल्लाह ने 2006 में 33 दिनों तक इजरायली सैनिकों से लड़ाई की और डटा रहा। इस युद्ध के बाद नसरल्लाह इस्लामिक देशों के नजर में हीरो बन गया। नसरल्लाह इकलौता ऐसा नेता था, जो इजरायल के सामने डंटा रहा।

ईरान में शिया मुसलमानों का बोलबाला है। कहा जाता है कि मुसलमानों को शिया और सुन्नी में बांटने में नसरल्लाह की भी भूमिका रही। कई मौकों पर नसरल्लाह शिया मुसलमानों को पक्ष में खड़ा नजर आया और धीरे-धीरे उसकी छवि शिया समर्थकों वाली बनती चली गई। फिलिस्तीन के लिए आवाज उठाने वाले नसरल्लाह ने धीरे-धीरे लेबनान में अपनी पकड़ बनाई।

इसके बाद 2005 में पूर्व पीएम रफीक हरीरी की हत्या हुई, जो कि एक सुन्नी थे। बाद में इंटरनेशनल ट्राइब्यूनल ने बताया कि हरीरी की हत्या हिज्बुल्लाह के ऑपरेटिव्स ने की थी। इसके बाद 2008 में नसरल्लाह के लोगों ने बेरूत में ही सुन्नी इलाकों पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही हिजबुल्लाह और भी मजबूती से खड़ा हो गया।

अब बात सीरिया की आई। सीरिया एक सुन्नी मुस्लिम बाहुल्य देश है, जहां शिया अल्पसंख्यक हैं। मार्च 2011 में सीरिया में गृह युद्ध शुरू हुआ। ​बशर अल-असद 2000 में सीरिया के राष्ट्रपति बने, जो शिया हैं। सीरिया के सुन्नियों ने शिया पक्षपात का आरोप लगाया और बशर सरकार का विरोध शुरू किया। इस दौरान हसन नसरल्लाह ने बशर अल-असद के शासन को तख्तापलट से बचाने में मदद करने के लिए हिज्बुल्लाह के हजारों लड़ाकों को सीरिया में तैनात कर दिया।

हिजबुल्लाह ने सीरिया में सुन्नी मुसलमानों को मौत के घाट उतारा

हिज्बुल्लाह ने ​बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विद्रो​ह करने वाले हजारों सुन्नी नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया। सीरिया के गृह युद्ध में हिज्बुल्लाह की प्रमुख भूमिका नजर आई। इजी अलेप्पो में घेराबंदी के दौरान हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने बशर अल-असद की सेना के साथ मिलकर बच्चों सहित हजारों नागरिकों की हत्या कर दी।

जून 2013 में हिज्बुल्लाह ने अल कुसैर नाम की जगह छोड़कर भाग रहे सीरियाई नागरिकों की हत्याएं कीं। अक्टूबर 2013 में हिज्बुल्लाह ने अल हिसेनियाह में नागरिकों पर बेरहमी से हमला किया। बता दें, नसरल्लाह की मौत की खबर का जश्न सीरिया में वो लोग मना रहे हैं, जो उसे सुन्नी मुसलमानों का कातिल मानते हैं।

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Updated 20:45 IST, September 29th 2024

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