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पब्लिश्ड 09:04 IST, October 25th 2024

Laxmi Pujan: शुक्रवार पूजा में जरूर करें इन स्तोत्र का पाठ, कर्ज से मिलेगी मुक्ति; खूब बरसेगा धन!

Laxmi Pujan Stotram: अगर आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी की कृपा सदैव आप और आपके परिवार पर बनी रहे तो आपको लक्ष्मी पूजा के दौरान कुछ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

लक्ष्मी पूजा | Image: Freepik

Laxmi Pujan Stotram: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित किया गया है। जिसके अनुसार शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। मान्यता है कि शुक्रवार के दिन सच्चे मन से मां लक्ष्मी की आराधना करने पर मां अपना आशीर्वाद सदैव अपने भक्तों पर बनाएं रखती हैं।

ऐसे में अगर आप माता लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं और किसी भी तरह के कष्ट, आर्थिक संकट से मुक्ति पनाना चाहते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन माता की पूजा करते समय इन विशेष स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

मां लक्ष्मी पूजन के लिए स्तोत्र (Stotra for worship of Goddess Lakshmi)

नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र

ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये॥

वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम्।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ॥

इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम्।
अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥

ऋण मोचन मङ्गलस्तोत्रम्

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः॥

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥
 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 09:04 IST, October 25th 2024

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