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Published 09:19 IST, November 5th 2024

Chhath Puja 2024: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, जानें पूजा का समय और विधि

Chhath Puja 2024: आज से नहाय-खाय के साथ छठ पूजा का प्रारम्भ हो चुका है। आइए जानते हैं कि पूजा का समय और विधि क्या होगी।

आज से छठ पूजा की शुरुआत | Image: freepik
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Chhath Puja 2024 Day 1: हिंदू धर्म में छठ पूजा का बेहद खास महत्व है, इसलिए इसे महापर्व भी कहा जाता है। हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत होती है। छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय के साथ शुरू होता है। वहीं आज यानी मंगलवार, 5 नवंबर से छठ के पर्व की शुरुआत हो रही है।

इस दिन घर व घर के आस-पास के स्थानों की साफ-सफाई की जाती है। साथ ही इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करती हैं। आइए जानते हैं छठ पूजा के पहले दिन आप किस समय पूजा कर सकते हैं और इसकी पूजा विधि क्या होगी।

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नहाय खाय 2024 पूजा का समय ( Chhath Puja 2024 Muhurat )

आज यानी मंगलवार, 5 नवंबर को छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय है। सूर्योदय सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस समय व्रती लोग पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा आज पूजा के लिए ये मुहूर्त शुभ रहेंगे।

  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 52 मिनट से 05 बजकर 38 मिनट तक।
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक।
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक।
  • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 01 बजकर 31 मिनट तक।

नहाए-खाए की विधि (Chhath Puja 2024 Nahay Khaye ki Vidhi)

  • छठ महापर्व के पहले दिन व्रती सुबह-सुबह किसी पवित्र नदी, तालाब या घर में स्नान करते हैं।
  • अगर आप घर में स्नान कर रहे हैं तो पानी में थोड़ा सा गंगाजल जरूर मिला लें।
  • इसके बाद साफ कपड़े पहनकर पूरे घर और रसोई की सफाई करें।
  • छठ पूजा के दौरान रसोई को शुद्ध और पवित्र रखा जाता है।
  • इसके बाद व्रती पूरे मन और आत्मा से छठ पूजा के नियमों का पालन करने का संकल्प लेते हैं।
  • नहाए-खाए के दिन व्रती सिर्फ सादा, सात्विक भोजन करते हैं।
  • इस दिन आमतौर पर चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है।
  • भोजन में लहसुन, प्याज या किसी भी तरह के मसालों का प्रयोग नहीं होता है।
  • भोजन मिट्टी या कांसे के बर्तनों में पकाया जाता है और उसे लकड़ी या गोबर के उपलों पर पकाना पारंपरिक होता है।
  • व्रती इसे शुद्धता के साथ ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

06:40 IST, November 5th 2024