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Published 21:59 IST, December 23rd 2024

'शेख हसीना को वापस भेजें...', बांग्लादेश सरकार ने भारत को चिट्ठी लिखकर की बड़ी मांग

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक संदेश भेजा है। भारत ने नयी दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग से राजनयिक संदेश प्राप्त होने की पुष्टि की है।

Sheikh Hasina | Image: ANI

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक संदेश भेजा है। भारत ने नयी दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग से राजनयिक संदेश प्राप्त होने की पुष्टि की, लेकिन इस पर टिप्पणी करने से परहेज किया। बांग्लादेश के इस कदम से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने ढाका में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया के लिए उन्हें (हसीना) वापस ढाका भेजा जाए।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम पुष्टि करते हैं कि हमें प्रत्यर्पण अनुरोध के संबंध में आज बांग्लादेश उच्चायोग से एक पत्र प्राप्त हुआ है।’’ उन्होंने इस मामले पर फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया।

भारत में निर्वासन में रह रही हैं शेख हसीना

हसीना (77) पांच अगस्त से भारत में निर्वासन में रह रही हैं। वह छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई थीं। इसके साथ ही लगातार 16 साल से जारी उनके शासन का अंत हो गया था। ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार’’ के लिए हसीना और उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों, सलाहकारों और सैन्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत, यदि अपराध का स्वरूप ‘‘राजनीतिक’’ हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।

एक अन्य खंड में कहा गया है कि अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसे चार महीने या उससे अधिक की अवधि के लिए सजा न सुनाई गई हो। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के पदभार संभालने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव आ गया। भारत उस देश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है। सोमवार को गृह मंत्रालय के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि उनके कार्यालय ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के प्रत्यर्पण के लिए विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है।

बांग्लादेश ने भारतीय विदेश मंत्रालय को लिखा पत्र

उन्होंने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने उनके (हसीना) प्रत्यर्पण के संबंध में विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। प्रक्रिया अभी जारी है।’’ आलम ने कहा कि ढाका और नयी दिल्ली के बीच प्रत्यर्पण संधि पहले से ही मौजूद है और इस संधि के तहत हसीना को बांग्लादेश वापस लाया जा सकता है। पिछले महीने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के 100 दिन पूरे होने पर राष्ट्र के नाम संबोधन में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि वह हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे। उन्होंने कहा था, ‘‘हमें हत्या के हर मामले में न्याय सुनिश्चित करना चाहिए... हम भारत से कहेंगे कि वह शेख हसीना को वापस भेजे।’’

यूनिस के शासनकाल में हिंदूओं पर हमला

आठ अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले यूनुस ने दावा किया है कि हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों और आम लोगों सहित लगभग 1,500 लोग मारे गए, जबकि 19,931 अन्य घायल हुए। अक्टूबर में, विधि सलाहकार आसिफ नजरूल ने कथित तौर पर कहा था कि यदि भारत संधि के किसी प्रावधान का हवाला देकर हसीना के प्रत्यर्पण को अस्वीकार करने का प्रयास करेगा, तो बांग्लादेश इसका कड़ा विरोध करेगा। हाल के हफ्तों में, हसीना ने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर ‘‘नरसंहार’’ को अंजाम देने और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय सहित अल्पसंख्यकों पर हमलों के कई मामले सामने आए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने दो सप्ताह पहले ढाका का दौरा किया था, जिसके दौरान उन्होंने बांग्लादेशी पक्ष को भारत की चिंताओं, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से अवगत कराया था।

 

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Updated 22:00 IST, December 23rd 2024

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