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Published 08:41 IST, September 27th 2024

Lakshmi Puja: शुक्रवार को पूजा में पढ़ें मां लक्ष्मी की ये आरती, करें इन मंत्रों का जाप; बरसेगा धन

Maa Lakshmi Puja Paath: अगर आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो आपको शुक्रवार के दिन मां की आरती जरूर पढ़नी चाहिए।

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Maa Lakshmi Puja Aarti: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित किया गया है। मां लक्ष्मी को धन की देवी भी कहा जाता है। इस दिन माता के भक्त लक्ष्मीजी की पूजा करने के साथ-साथ उनके नाम का व्रत भी करते हैं। कहते हैं इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

इतना ही नहीं आप मां लक्ष्मी का आशीर्वाद व उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए शुक्रवार के दिन देवी की पूजा करते समय लक्ष्मी जी की आरती और कुछ मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इससे देवी जल्दी प्रसन्न होकर भक्त की झोली खुशियों से भर देती है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की आरती और मंत्रों के बारे में।

मां लक्ष्मी की आरती (Lakshmi Mata Aarti)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

माता लक्ष्मी के मंत्र (Maa Laxmi Mantra)

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।।
ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Updated 09:07 IST, September 27th 2024

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