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Published 16:14 IST, August 31st 2024

मां गंगा किसकी तपस्या से धरती पर आईं?

How did Ganga descend from heaven? भागीरथ गंगा को धरती पर कैसे लाएं? गंगा किसकी तपस्या से धरती पर आईं? जानें इस सभी सवालों के जवाब...

How did Ganga come to Earth | Image: social media
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How did Ganga come to Earth? मां गंगा का पानी न केवल हमारे पापों को दूर करता है बल्कि वह हमारे पितरों को शांति भी देता है। ऐसे में लोग मृत्यु के बाद अपने परिवारजनों की अस्थियों को माता गंगा में बहाते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इतनी पवित्र माता गंगा धरती पर कैसे आईं? उन्हें धरती पर कौन लेकर आया और भगवान शिव की जटाओं में उन्हें कैसे कैद किया गया? अगर नहीं तो इन सभी सवालों के जवाब आपको आज हम बताने जा रहे हैं।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि माता गंगा धरती पर कैसे आई थीं और गंगा मैया को धरती पर लाने वाला व्यक्ति कौन था? पढ़ते हैं आगे… 

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गंगा किसकी तपस्या से धरती पर आई?

बता दें कि गंगा मां को धरती पर लाने वाले थे भागीरथ। प्राचीन काल में भागीरथ ऋषि को 100 आत्माओं को मुक्त कराना था। ऐसे में उन्होंने माता गंगा को धरती पर लाने के लिए एक युक्ति निकाली। उस वक्त माता गंगा स्वर्ग में रहती थीं। भागीरथ ऋषि को पता था कि जब वह माता गंगा के पानी में 100 आत्माओं की राख को प्रवाहित करेंगे तभी उन्हें मुक्ति मिल सकेगी। ऐसे में वह हिमाचल चले गए और वहां जाकर उन्होंने घोर तपस्या की। 

मां गंगा हो गई प्रसन्न

माता गंगा भागीरथ की तपस्या से बेहद प्रसन्न हुईं। वह उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें आश्वासन दिया कि वह धरती पर जाएंगी। लेकिन अब सवाल यह था कि माता गंगा का वेट धरती मां कैसे संभालेंगी। इसके लिए भागीरथ ने ही भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह माता गंगा के पानी के वेग को कम करें और उन्हें धरती पर उतारें।

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टूटा मां गंगा का घमंड

माता गंगा को अपनी शक्तियों के कारण घमंड था। ऐसे में भगवान शिव को उनका घमंड भी चूर करना था। भगवान शिव ने माता गंगा के लिए अपनी जटाएं खोल दीं और उनमें माता गंगा के पानी को समेट लिया। इस तरह माता गंगा का सारा घमंड चूर हो गया। जब गंगा ने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी तब भगवान शिव ने उन्हें अपने सिर से बहने की अनुमति दी। 

गंगा नदी की उत्पत्ति कैसे हुई? 

एक कथा ये भी है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और उन्होंने ब्रह्मांड को पार करने के लिए अपने दोनों चरण कमलों को उठाया। उस वक्त गलती से दूसरे चरण से विष्णु के पैर का अंगूठा ब्रह्मांड की दीवार में लगा जहां से एक छेद बना और वहां से गंगा का पानी गिरने लगा। जब भागीरथ ने तपस्या की तो उनकी तपस्या से माता गंगा के साथ-साथ देवता भी प्रसन्न हुए। ऐसे में उन्होंने भी माता गंगा के पृथ्वी पर जाने पर सहमति जताई।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

14:10 IST, August 31st 2024