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पब्लिश्ड 08:20 IST, January 3rd 2025

Lakshmi Pujan: शुक्रवार की पूजा में करें श्री सूक्त का पाठ, मां लक्ष्मी बरसाएंगी कृपा; होगी धन वृद्धि, बढ़ेगा मान-सम्मान

Shri Sukta Ka Path: धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आपको शुक्रवार के दिन उनकी पूजा करने के साथ-साथ श्री सूक्त का पाठ भी जरूर करना चाहिए।

मां लक्ष्मी | Image: Pinterest

Lakshmi Puja mein karein Shri Sukta Ka Path: हिंदू धर्म में शुक्रवार के दिन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा किए जाने का विधान है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से मां लक्ष्मी का व्रत कर उनकी पूजा अर्चना करता है देवी उसे अपना आशीर्वाद देती हैं और उस पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखती हैं।

हालांकि, शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करते समय भक्तों को श्री सूक्त स्तोत्र का पाठ भी करना चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव आप और आपके परिवार पर बनी रहेगी और आपको कभी भी धन की कमी या किसी तरह के आर्थिक संकट या परेशानी का सामना न करना पड़ेगा। तो आपको शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान श्री सूक्त स्तोत्र का पाठ जरूर करें। आइए जानते हैं कि ये पाठ किस तरह से है।

लक्ष्मी पूजन में करें श्री सूक्त का पाठ (Shri Sukta Path during Lakshmi Puja)

हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद मे गृहात् ॥

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥

कर्दमेन प्रजाभूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥

आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 08:20 IST, January 3rd 2025

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