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पब्लिश्ड 17:51 IST, April 16th 2024

Kanya Pujan 2024: कंचक में क्यों खिलाते हैं कन्याओं को हलवा-पूरी के साथ चना? जानें पौराणिक मान्यता

Kanya Pujan में हलवा-पूरी के साथ चना खिलाने का विधान है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवमी के दिन काले चने क्यों बनाते हैं।

नवरात्रि में काला चना क्यों बनाते है? | Image: Freepik

Kanya Pujan Me Kyo Khilate Hai Halwa Puri Aur Chana: वैसे तो नवरात्रि का हर दिन बेहद खास होता है, लेकिन इस पर्व की महाअष्टमी और महानवमी तिथियां बेहद खास मानी जाती हैं, क्योंकि इस दिन हवन के साथ कन्या पूजन का विधान है। इस दिन कन्याओं को मां दुर्गा के नौं रूपों के रूप में पूजा जाता है और उन्हें हलवा, पूरी, चना खिलाया जाता है। साथ ही दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा की नवरात्रि में कन्या पूजन के समय काला चना ही क्यों खिलाया जाता है। आइए इसके पीछे की कहानी के बारे में जानते हैं।

मान्यता है कि कन्या पूजन और भोज के बिना नवरात्रि अधूरी होती है, लेकिन अक्सर हम सभी के क्या इस दिन हलवा-पूरी के साथ काला चना बनता है और इसका माता रानी को भी भोग लगाया जाता है। साथ कन्याओं को खाने के लिए भी दिया जाता है, लेकिन इसके पीछे की वजह के बारें में क्या आप जानते हैं।

कन्या पूजन में काला चना ही क्यों खिलाया जाता है?

नवरात्रि में आप सभी ने देखा होगा कि कन्या पूजन में हलवा, पूरी के साथ काला चना ही खिलाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों? दरअसल, हिंदू मान्यताओं के मुताबिक दुर्गा माता को हलवा, पूड़ी और चने का भोग काफी प्रिय है। वहीं जब इसे कन्या पूजा में शामिल किया जाता है, तो माता घर में सभी को सद्बुद्धि और समृद्धि देती हैं।

कैसे करें कंचक पूजा?

  • परंपरा के मुताबिक कंचक पूजा में 2 से 10 साल के उम्र की छोटी लड़कियों को ही शामिल करना चाहिए।
  • कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या 9 और 2 बालक जरूर होने चाहिए।
  • कन्या पूजा की शुरुआत कन्याओं के पैर धोने से शुरू होती है।
  • इसके बाद उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत (चावल) का तिलक लगाया जाता है और उनके हाथों में एक कलावा बांधा जाता है।
  • उसके बाद उन्हें नारियल से बना प्रसाद दिया जाता है।
  • फिर पूरी, हलवा और सूखा काला चना दिया जाता है।
  • पूजा के अंत में उन्हें धन, आभूषण, कपड़े, खिलौने आदि के रूप में उपहार भी दिए जाते हैं।
  • आखिर में उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर उनकी विदाई की जाती है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

अपडेटेड 17:57 IST, April 16th 2024

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