OPINION

Published 17:28 IST, August 28th 2024

आंदोलन की धरती बंगाल में ममता के खिलाफ प्रदर्शन करना मना है?

डॉक्टर बिटियां के इंसाफ के लिए लाठी-डंडे से बेफ्रिक होकर लोग सड़कों पर उतरे भी और सोई हुई ममता सरकार को जगाने की कोशिश भी की।

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Dheeraj Singh
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पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन | Image: PTI
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बंगाल कभी रक्तचरित की वजह से सुर्खियों में रहा करता था, राजनीतिक हत्या के लिए बदनाम था… लेकिन कभी ममता पर आंच नहीं आई पर डॉक्टर बेटी के रेप और हत्या मामले में ऐसा लगता है ममता सरकार पूरी तरह से फंस चुकी है। मुश्किल में है। हालत ये हो गई है कि पार्टी के भीतर से भी अब आवाज उठने लगी है। लेकिन ममता सरकार आरोपियों को शुरू से बचाने में लगी है। ममता सरकार की निर्ममता के खिलाफ बंगाल में अब तक सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ… लेकिन ममता ने जो निर्ममता दिखाई है उसकी तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी। बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, जवान सब एक साथ सड़कों पर उतरे। कामकाजी महिलाएं सड़कों पर उतरीं। स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाले सड़कों पर उतरे। रिटार्यड व्यक्ति सड़क पर उतरे। उन्हें पहले से आभास था कि ममता के खिलाफ सड़कों पर उतरने का अंजाम क्या होगा? लेकिन डॉक्टर बिटियां के इंसाफ के लिए लाठी-डंडे से बेफ्रिक होकर लोग सड़कों पर उतरे भी और सोई हुई ममता सरकार को जगाने की कोशिश भी की। 10 घंटों से ज्यादा बंगाल की राजधानी कोलकाता में पब्लिक और पुलिस में झड़प होती रही। सड़कों पर बस एक ही आवाज थी “ममता सरकार इस्तीफा दो...”। 

ये वहीं जनता है जो ममता सरकार को चुनावों में जीतकर सिर आंखों पर बैठाया था लेकिन कोलकाता रेप और मर्डर केस को लेकर जिस तरह ममता सरकार ने लीपापोती की कोशिश की है। उससे हर कोई नाराज है। उसका नतीजा है कि लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा। ऐसे में लोगों का आक्रोश से ममता घबरा गई और नबन्ना मार्च में शामिल प्रदर्शनकारियों को सख्ती से निपटने की कोशिश की, लेकिन नतीजा क्या हुआ ये सबके सामने हैं।

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नबन्ना क्या है? 

नबन्ना बंगाल के सचिवालय का नाम है जिसका पहले रॉयटर्स बिल्डिंग नाम हुआ करता था, लेकिन ममता सरकार ने 2011 में रॉयटर्स बिल्डिंग का नाम बदल कर नबन्ना रख दिया। वैसे नबन्ना आंदोलनकारियों के लिए नया नाम नहीं है। विपक्ष सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार अभियान चलाने के लिए नबन्ना अभियान चलता रहा है। नबन्ना बिल्डिंग में 14 फ्लोर का है और 14वें फ्लोर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दफ्तर है। या यूं कहे कि पूरा बंगाल नबन्ना बिल्डिंग से ही चलता है।

वैसे कोलकाता रेप और मर्डर केस ममता सरकार को पहले कोलकाता हाईकोर्ट से फटकार मिली। फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी पुलिस और अस्पताल के रवैये पर सवाल उठाया और सीबीआई जांच के आदेश दिए। अगर इस मुद्दे पर कोर्ट दखल नहीं देता तो सीबीआई टीम का नतीजा वहीं होता जो 2019 में हुआ था, लेकिन इस बार ममता सरकार फंस गई। मुश्किलों में फंसी ममता सरकार लगता है उसका गुस्सा प्रदर्शनकारियों पर निकाल रही है।  

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लेकिन सवाल ये है कि क्या लोग अपने हक के लिए सड़कों पर उतर नहीं सकते, ममता सरकार के खिलाफ आंदोलन नहीं कर सकते। जो ममता संघर्ष करके सत्ता पर काबिज हुई है क्या वो उस संघर्ष को भूल गई है। एक महिला मुख्यमंत्री होते हुए भी बेटी के साथ हुए दुष्कर्म पर इंसाफ नहीं दिला सकती?

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17:28 IST, August 28th 2024