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Published 21:16 IST, September 18th 2024

EXPLAINER/ Bahraich Wolf Attack: 'अगर उसके बच्चे को...', भेड़ियों का लंगड़ा सरदार कैसे हुआ खूनी? असली कहानी

जब भेड़िए को एक बार इंसानी खून की लत लग जाती है तो उसे वो छोड़ नहीं पाता है। इसी वजह से लगड़े भेड़िए ने अपना एक झुंड बना लिया ताकि वो इंसानी बस्ती पर हमला कर सके

Reported by: Ravindra Singh
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भेड़ियों का लंगड़ा सरदार कैसे हुआ खूनी? असली कहानी | Image: Pixabay

उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला भेड़िए की दहशत का पर्याय बन चुका है। कहते हैं वहां के लोगों में भेड़िए ने इतनी दहशत मचा दी है कि रात को लोग कहते हैं कि सोना मत नहीं तो भेड़िया आ जाएगा... बहराइच के 50 गांवों में बीते लगभग दो महीनों से  भेड़िए का आतंक है। अब तक इस नरभक्षी भेड़िया अब तक इस इलाके के 10 लोगों को अपना निवाला बना चुका है जिसमें से 9 बच्चे हैं। बहराइच की खूनी दास्तां को सुनकर हर कोई ये सोच रहा होगा कि आखिर आम तौर पर मानव बस्तियों से दूर रहने वाला भेड़िया आखिर इंसानी खून का प्यासा कैसे बन गया?


बहराइच वाले मामले में वाइल्‍ड लाइफ एक्‍सपर्ट की मानें तो खेतों में भेड़ियों के जो फुटप्रिंट मिले उससे पता चलता है कि एक भेड़िया लंगड़ा था। एक्‍पर्ट्स के मुताबिक लंगड़ा होने के चलते वो अपना नियमित शिकार नहीं कर पा रहा था। इसलिए उसने आसान चारा के रूप में इंसानी बच्‍चों को चुना। क्योंकि सोते समय वो आसानी से और कम मेहनत से अपना शिकार कर सकता है। हालांकि एक दावा ये भी किया जा रहा है कि बहराइच में पहले भेड़िए खेतों में आम लोगों के बगल से निकल जाते थे लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे। फिर एक दिन एक ट्रैक्टर से भेड़िए के कुछ बच्चे कुचल कर मर गए। इसके बाद भेड़िए ने पूरे इलाके का मुआयना किया और अपने सूंघने की नायाब शक्ति से पूरे इलाके में अपने उन दुश्मनों को ढूंढा और 50 किमी के दायरे में भेड़ियों ने अपने झुंड के साथ मिलकर ऑपरेशन बदला शुरू कर दिया और पूरे इलाके में तबाही मचा दी।

 


वनाधिकारी ने बताई भेड़िए के नरभक्षी होने की वजह

वन विभाग की टीमों का नेतृत्व कर रहे बाराबंकी के प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने बताया कि बिना किसी एक्शन के रिएक्शन नहीं होता है। हमने अब तक जो पगचिन्ह देखे हैं उसे देखकर साफ तौर पर लगता है कि इसमें से एक भेड़िए के पैर में कोई दिक्कत या परेशानी है जिसकी वजह से वो चल नहीं पा रहा है ऐसे में वो आसान शिकार ढूंढता है। आसान शिकार के लिए उसे इंसानी बस्ती सबसे मुफीद जगह दिखाई देती है जहां छोटे बच्चों को वो आसानी से अपने खूनी जबड़ों में जकड़कर ले जाता है और अपना निवाला बना लेता है। जब भेड़िए को एक बार इंसानी खून की लत लग जाती है तो उसे वो छोड़ नहीं पाता है। चूंकि भेड़िया हमेशा झुंड में रहते हैं और इसी आदत के चलते लगड़े भेड़िए ने अपने साथ और भेड़ियों को जोड़ लिया। एक लंगड़े भेड़िए की आदत बिगड़ने के कारण भेड़िए का एक झुंड इंसानी बच्चों के लिए काल बना हुआ है।

 


बदले की आग से धधक रहा है लंगड़ा भेड़िया

भेड़िए इंसानी स्वभाव के होते हैं वो अपने साथ हुए हादसे या हमले को कभी नहीं भूलते हैं। इसी तरह से लंगड़े भेड़िए के भीतर बदले की आग इस तरह से धधक उठी थी कि उसके झुंड ने दो महिलाओं को भी मार दिया, कहा जाता है कि भेड़िए समूह में रहते हैं, परिवार जैसा इनका माहौल होता है, घात लगाकर इकट्ठा होकर शिकार करते हैं और सभी मिलकर खाते हैं व मिलकर ही रहते हैं, उनके समूह का एक भी साथी बिछड़ जाए या मार दिया जाए व पकड़ लिया जाए तो वह पागल हो जाते हैं, खूंखार हो जाते हैं। लंगड़ा भेड़िए की भी कहानी कुछ इसी तरह की है। जब अपने बच्चे का बदला इंसानों से ले रहा है, हालांकि उसके ग्रुप के 5 खूंखार भेड़िये पकड़े जा चुके हैं, एक की मौत हो गई है और 4 जिंदा अलग-अलग जगह पर भेजे जा चुके हैं, जिसके कारण लंगड़ा भेड़िया और उसके साथी पागल व खूंखार नरभक्षी बन गए हैं।

 

 


कहीं रेबीज की वजह से आक्रमक तो नहीं हुए भेड़िए?

इस बारे में केवल अटकलें ही लगाई जा रही हैं कि भेड़ियों में अचानक इतना आक्रामकता कैसे आ गई कि वे बहराइच के महसी तहसील के 50 गांवों के 15,000 लोगों को आतंकित कर रहे हैं। वन विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने रविवार को 'पीटीआई' को बताया, 'भेड़ियों का इतना आक्रामक रवैया सामान्य बात नहीं है। रेबीज के संक्रमण से भेड़ियों की आक्रामकता बढ़ जाती है। हो सकता है कि उनके अंदर रेबीज का संक्रमण हो।' उन्होंने कहा, 'यह जरूरी है कि अब तक पकड़े गए छह में से चार भेड़ियों का मेडिकल परीक्षण कराया जाए ताकि यह पता लग सके कि कहीं उनमें रेबीज का संक्रमण तो नहीं है।'


हो सकता है भेड़िए बदले के लिए कर रहे हों हमलेः एक्सपर्ट

बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वन्य प्राणी केन्द्र में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी डॉक्टर ए.एम. पावड़े ने कहा, 'भेड़ियों में बदला लेने की प्रवृत्ति होती है। बहराइच का मामला बदले की कार्रवाई और सिकुड़ते जंगलों के चलते इंसानी आबादी में वन्यजीवों की घुसपैठ, दोनों का ही मामला लगता है।' डॉक्टर पावडे़ ने आगे बताया, 'भेड़िये बेहद संवेदनशील स्वभाव के होते हैं। यह बात सामने आ रही है कि एक भेड़िया लंगड़ा है। संभव है कि पूर्व में वह इंसानों की आबादी वाले इलाके में घुसा हो और लोगों ने उसे मारा-पीटा हो।' उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि वह भेड़िया अल्फा भेड़िया यानी अपने दल का नेतृत्वकर्ता है इसीलिए उसके झुंड ने इंसानों को निशाने पर ले लिया है। ऐसा भी हो सकता है कि किसी ने भेड़िये के बच्चों को नुकसान पहुंचाया हो, जिसकी वजह से वे हमलावर हो गये हैं।'

 


भेड़िए के हमले से 50 लोग घायल

वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, ‘ऑपरेशन भेड़िया’ की शुरुआत पिछली 17 जुलाई को हुई थी और इसमें अब तक चिन्हित किए गए छह में से 5 भेड़िये पकड़े भी जा चुके हैं। मगर आखिरी भेड़िया पिछली 10 सितंबर को पकड़ा गया था। तबसे वन्य जीव के इंसानों पर हमले के कम से कम दो मामले सामने आ चुके हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि अब तक हिंसक जानवरों के हमलों में हुई कुल आठ मौतों में से कम से कम छह मृत्यु के लिए भेड़िये जिम्मेदार हैं। कम से कम 50 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनमें से लगभग 20 से 30 लोग भेड़ियों के हमलों में जख्मी हुए हैं।

 


अफवाहों की वजह से ऑपरेशन भेड़िया प्रभावितः वन अधिकारी

बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि कुल 165 अधिकारी और कर्मचारी आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने में दिन-रात जुटे हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने नौ शूटर भी मैदान में उतरे हैं। उन्होंने बताया, 'प्रभावित इलाकों को भेड़ियों के हमलों की संवेदनशीलता के लिहाज से तीन श्रेणियों में बांटा गया है। हर श्रेणी में अभियान का नेतृत्व प्रभागीय वन अधिकारी या उप प्रभागीय वन अधिकारी स्तर के दो-दो अफसर कर रहे हैं। हर श्रेणी में छह-छह टीम हैं। प्रत्येक टीम में पांच-पांच सदस्य हैं।' सिंह ने बताया कि अफवाहों और खोज ऑपरेशन वाले स्थान पर बहुत बड़ी संख्या में ग्रामीणों के एकत्र हो जाने की वजह से भेड़ियो को पकड़ने के अभियान में बहुत दिक्कतें पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा, 'रोजाना शाम से वन विभाग के अधिकारियों के पास अलग-अलग स्थानों पर भेड़ियों की मौजूदगी की सूचनाएं आनी शुरू हो जाती हैं जो अक्सर गलत निकलती हैं। अब तो हर छोटी-मोटी चोट को भी भेड़िये के हमले में लगी चोट के तौर पर बताया जा रहा है।'


भेड़िए प्रभावित इलाकों में सरकार ने दरवाजे और शौचालय पर तेज काम कियाः डीएम

बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि स्थानीय प्रशासन प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में दरवाजे भी लगा रहा है। उन्होंने बताया, 'अब तक कोलैला, सिसैया चूरामणि, सिकंदरपुर और नकवा जैसे गांवों में 120 घरों में दरवाजे लगाए जा चुके हैं और कई घरों में शौचालय भी बनवाए गए हैं।' उन्होंने बताया कि भेड़िये के हमले के लिहाज से अति संवेदनशील गांवों के आश्रयविहीन एवं असुरक्षित घरों में रहने वाले ग्रामवासियों के लिए पंचायत भवन अगरौरा दुबहा, रायपुर व चंदपइया तथा संविलियन विद्यालय सिसईया चूणामणि में आश्रय स्थल स्थापित किये गये हैं। आश्रय स्थलों के लिए नामित नोडल अधिकारी जिला पंचायत राज अधिकारी राघवेन्द्र द्विवेदी ने बताया कि बेघर लोगों या जिनके पास प्रभावित क्षेत्रों में उचित घर नहीं हैं, उनके लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं।

 

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Updated 21:22 IST, September 18th 2024

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