Published 23:31 IST, December 14th 2024
पराली जलाने के लिए व्यवस्थित समाधान की आवश्यकता: उपराष्ट्रपति धनखड़
उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने पराली जलाने से निपटने के लिए व्यवस्थित समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ‘हमारी लापरवाही लोगों के जीवन को खतरे में डालती है।’
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उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने शनिवार को पराली जलाने से निपटने के लिए एक व्यवस्थित समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ‘हमारी लापरवाही लोगों के जीवन को खतरे में डालती है।’
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी हर साल पराली जलाने से उत्पन्न खतरनाक पर्यावरणीय परिस्थितियों से पीड़ित होती है।
उन्होंने कहा कि समाज को नवाचार को अपनाना चाहिए और इसे व्यक्तियों पर छोड़ने के बजाय एक व्यवस्थित समाधान की तलाश करनी चाहिए।
धनखड़ ने कहा, “तंत्र को परिपक्व होना चाहिए... हमारी लापरवाही हमें कई तरह से खतरे में डाल रही है। एक तो हमारा स्वास्थ्य। दूसरा, काम के घंटों का नुकसान। तीसरा, सामान्य जीवन में व्यवधान और चौथा, हमें अपने बच्चों का ख्याल रखना होगा।”
उन्होंने पराली जलाने के लिए एक व्यवस्थित समाधान खोजने का आह्वान किया और कहा कि इसे व्यक्तियों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन जैसी खतरनाक समस्या सामाजिक बाधाओं को मिटा देती है। अमीर या गरीब, शहरी या ग्रामीण। हमें एक साथ काम करना चाहिए, या हम एक साथ नष्ट हो जाएंगे।”
लोकाचार और पारंपरिक ज्ञान का उल्लेख करते हुए धनखड़ ने कहा, “हमारा सभ्यतागत ज्ञान एक विरासत है, और मैं कहूंगा कि एक तरह से इस जलवायु आपातकाल के लिए उत्तरजीविता मैनुअल, विश्वकोश है। हमारे पास हजारों वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार, हमारे वेद, पुराण, हमारे महाकाव्य महाभारत, रामायण और गीता का ज्ञान है। यदि हम उस सोने की खान को देखें, तो हमें वास्तविक प्रेरणा मिलती है कि संरक्षण हमेशा एक महत्वपूर्ण कारक रहा है, जीवन का एक पहलू रहा है।”
Updated 23:31 IST, December 14th 2024