Published 22:20 IST, December 21st 2024
शादी पर उच्चतम न्यायालय, कहा- आपसी विश्वास और साहचर्य पर बना रिश्ता है
उच्चतम न्यायालय ने अलग-अलग रह रहे अभियंता दंपति को विवाह विच्छेद की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि...
- भारत
- 2 min read
उच्चतम न्यायालय ने अलग-अलग रह रहे अभियंता दंपति को विवाह विच्छेद की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि शादी एक ऐसा रिश्ता है जो आपसी विश्वास, साहचर्य और साझा अनुभवों पर बनता है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने कहा कि अलगाव की अवधि और पति-पत्नी के बीच स्पष्ट तल्खी यह स्पष्ट करती है कि विवाह को बचाने की कोई संभावना नहीं है।
पीठ ने कहा..
पीठ ने कहा, ‘‘विवाह आपसी विश्वास, साहचर्य और साझा अनुभवों पर बना एक रिश्ता है। जब ये आवश्यक तत्व लंबे समय तक गायब रहते हैं तो वैवाहिक बंधन किसी भी सार से रहित केवल कानूनी औपचारिकता बनकर रह जाता है।’’ इसमें कहा गया है कि अदालत ने लगातार माना है कि लंबे समय तक अलगाव और मेल-मिलाप करने की अक्षमता वैवाहिक विवादों पर निर्णय लेने में एक प्रासंगिक कारक है।
पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में अलगाव की अवधि और दोनों पक्षों के बीच स्पष्ट दुश्मनी से यह स्पष्ट हो जाता है कि शादी को बचाने की कोई संभावना नहीं है। पीठ ने कहा कि पति और पत्नी दो दशकों से अलग-अलग रह रहे हैं और यह तथ्य इस निष्कर्ष को और पुष्ट करता है कि यह विवाह अब व्यवहार्य नहीं है।
शीर्ष अदालत ने उन महिलाओं की अपील खारिज कर दी जिन्होंने क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के आठ जून, 2018 के फैसले को चुनौती दी थी।
पीठ ने कहा कि पति ने यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध कराए हैं कि अपीलकर्ता (पत्नी) ऐसे व्यवहार में शामिल थी जिससे उसे अत्यधिक मानसिक और भावनात्मक परेशानी हुई।
दोनों ने 30 जून, 2002 को शादी की थी और दोनों से नौ जुलाई, 2003 को एक बेटी का जन्म हुआ। दोनों पक्षों के बीच कलह बच्ची के जन्म के ठीक बाद शुरू हुई जब पत्नी ने अपने माता-पिता के घर से लौटने से इनकार कर दिया। प्रसव के लिए माता-पिता के घर गई पत्नी ने लौटने से इनकार कर दिया।
(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Updated 22:20 IST, December 21st 2024