Download the all-new Republic app:

Published 23:05 IST, October 14th 2024

Project Cheetah: दुनिया में पहली बार एक महाद्वीप से लाकर दूसरे महाद्वीप में बसाए जाएंगे चीते

अग्नि-वायु नाम के चीतों को सबसे पहले पालपुर पूर्वी रेंज में छोड़ा जाएगा जबकि प्रभास-पावक को जंगल के दूसरे हिस्से में छोड़ा जाएगा।

Follow: Google News Icon
×

Share


Tiger | Image: Unsplash

Project Cheetah: दुनिया में पहली बार एक महाद्वीप से ला कर दूसरे महाद्वीप में चीतों को बसाने की परियोजना के तहत अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों को अक्टूबर के आखिर में चरणबद्ध तरीके से मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में छोड़ने की शुरुआत की जाएगी। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि अग्नि-वायु नाम के चीतों को सबसे पहले पालपुर पूर्वी रेंज में छोड़ा जाएगा जबकि प्रभास-पावक को जंगल के दूसरे हिस्से में छोड़ा जाएगा।

उन्होंने रेखांकित किया कि केवल नर चीतों को छोड़ने की स्थिति में बाड़े के पास भीड़ होगी और उनमें संघर्ष हो सकता है क्योंकि वे मादा चीतों की तलाश में आएंगे। इसलिए जरूरी है कि नर के साथ मादा चीतों को भी छोड़ा जाए। अधिकारियों ने बताया कि गांधीसागर वन्य जीव अभयारण्य भारत में चीतों का दूसरा घर होगा क्योंकि चीतों के नये झुंड का स्वागत करने के लिए यह तैयार है।

उन्होंने बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कुल 20 चीते लाए गए हैं। इनमें से आठ चीते सितंबर 2022 में नामीबिया से लाए गए जबकि 12 चीते फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए। अधिकारियों ने बताया कि भारत लाए गए 20 चीतों में से आठ वयस्क चीतों (तीन मादा और पांच नर) की मौत हो गई। वहीं, भारत आने पर 17 शावकों का जन्म हुआ जिनमें से 12 जीवित हैं। इस प्रकार कूनो में इस समय शावकों सहित कुल 24 चीते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इस समय ये चीते 0.5 से 1.5 वर्ग किलोमीटर के बाड़े में है जबकि चीतों को नैसर्गिक अवस्था में रहने के लिए आमतौर पर 50 वर्ग किलोमीटर से अधिक का वन क्षेत्र चाहिए। चीतों को शुरुआत में वन में छोड़ा गया था लेकिन तीन चीतों (नामीबिया से लाई गई तिबलिसी और दक्षिण अफ्रीका से लाए तेजस और सूरज) की संक्रमण से मौत के बाद पिछले साल अगस्त में उन्हें दोबारा बाड़े में लाया गया।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि और चीते लाने के लिए दक्षिण अफ्रीक और केन्या से बातचीत अंतिम दौर में है। उन्होंने कहा कि ‘‘ भारत में चीतों के पुनर्वास की कार्ययोजना’’ के तहत दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से पांच साल या अच्छी खासी संख्या होने तक हर साल 12 से 14 चीते लाए जाने हैं।

अधिकारी गुजरात के बन्नी घासमैदान में संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र स्थापित कर रहे हैं जहां केन्या से चीते लाए जाने की संभावना है। चीता परियोजना को लेकर 2023-24 की आई वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का लक्ष्य मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच अगले 25 साल में कूनो-गांधीसागर वन क्षेत्र में अंतर राज्य चीता संरक्षण परिसर स्थापित करने का है।

यह भी पढ़ें… दिल्ली की अदालत इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत पर मंगलवार सुनाएगी फैसला

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 23:05 IST, October 14th 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.