पब्लिश्ड 17:23 IST, December 11th 2024
Atul Subhash: मर्दों को निगल रही फैमिली प्रॉब्लम...100 में 70 सुसाइड करने वाले पुरुष, क्या हैं कारण?
AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस सुसाइड ने पैसे के लिए, गिरते रिश्तों के स्तर की स्याह सच्चाई सामने ला दी है।
- भारत
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Atul Subhash Suicide: बेंगलुरु की एक कंपनी में बतौर AI इंजीनियर काम करने वाले अतुल सुभाष मोदी ने पत्नी से परेशान होकर खुदकुशी कर ली है। अतुल सुभाष उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले थे। मरने से पहले उन्होंने 24 पन्नों का सुसाइड लेटर और एक घंटे 20 मिनट का एक वीडियो जारी किया। अतुल ने अपनी पत्नी, ससुराल पक्ष, फैमिली कोर्ट के जज और पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाया है। इस केस के बाद पूरे देश में इस बात पर चर्चा हो रही है कि क्या न्याय में देरी से अतुल को अपनी जान गंवानी पड़ी?
AI इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी की पत्नी और उसके परिजनों के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। अतुल सुभाष अब इस दुनिया में नहीं हैं। कोर्ट में चल रही तलाक की लड़ाई, जिंदगी और मौत की लड़ाई बन जाएगी, इसका अंदाजा तो शायद अतुल को भी नहीं था। अतुल के तलाक का केस 2 साल से चल रहा था, 100 से ज्यादा तारीखों और लाखों रुपये खर्च करने के बाद अतुल को तलाक की जगह अपनी जीवन लीला खत्म करना ज्यादा आसान लगा। अपने सुसाइड वीडियो के अतुल सुभाष ने प्रशासन और लचर व्यवस्था को दोषी बताते हुए कहा कि आत्महत्या ही उनके लिए सबसे सही फैसला है। उन्होंने कहा-
‘खुदको ही खत्म कर लेना बेस्ट है। जो पैसे मैं कमा रहा हूं, उसी से अपने दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। वो पैसे मुझे की बर्बाद करने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं और ये साइकल बढ़ता ही रहेगा। मेरे ही टैक्स के पैसे से कोर्ट, पुलिस सिस्टम मुझे, मेरी फैमिली और बाकी अच्छे लोगों को भी प्रताड़ित करेगा। मेरे मरे हुए शरीर के आसपास मेरी पत्नी और उसके परिवार की तरफ से कोई नहीं आना चाहिए।’
'लाखों रुपये मांगते थे पत्नी के परिजन'
सुभाष के परिजनों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर अतुल की पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ है। सुभाष ने सुसाइड नोट में आग्रह किया कि उसके बच्चे का लालन-पालन उसके माता-पिता को सौंपा जाए। सुभाष ने सुसाइड नोट में बताया कि 2019 में उसने शादी की थी और अगले साल उसका एक बेटा हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी के परिजन उन्हें (सुभाष) बार-बार रुपयों के लिए परेशान करते थे और लाखों रुपये मांगते थे। जब उन्होंने रुपये देने से इनकार कर दिया तो उनकी पत्नी कथित तौर पर 2021 में बेटे के साथ घर छोड़कर चली गई। सुभाष ने आरोप लगाया-
‘मेरी पत्नी मेरे बच्चे को अलग रखेगी और मुझे, मेरे बुजुर्ग माता-पिता और मेरे भाई को परेशान करने के लिए और भी मामले दर्ज कराएगी। मैं गुजारा भत्ता के लिए उसे जो पैसे देता हूं वह उसका इस्तेमाल हमारे बच्चे की परवरिश बजाय मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।’
हर 10 में से सुसाइड करने वाले 7 पुरुष
कम शब्दों में कहें तो इस पूरे मामले का लब्बोलुआब बस इतना है कि अतुल के खिलाफ उनकी पत्नी और ससुराल पक्ष ने कथित रूप से झूठा केस दर्ज कराया था। पत्नी को पैसा देकर और अदालतों के चक्करों से परेशान होकर अतुल ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। लेकिन परेशान करनी वाली बात ये है कि आत्महत्या करने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। सुसाइड करने वाले हर 10 में से 7 पुरुष होते हैं। NCRB के आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं।
क्या है आत्महत्या का कारण?
NCRB के 2022 के आंकड़ों के अनुसार 30 से 45 साल की उम्र में आत्महत्या करने वालों की संख्या अधिक है। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल की उम्र के लोग अधिक सुसाइड करते हैं। आत्महत्या करने वालों में अधिकतर शादीशुदा लोग शामिल है और वो भी पुरुष। NCRB की रिपोर्ट में आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण फैमिली प्रॉब्लम है। इसके बाद बीमारी (एड्स, कैंसर आदि) से परेशानी, ड्रग्स या शराब की लत, मानसिक बीमारी, कर्ज, शादी से जुड़ी परेशानियां और लव अफेयर्स हैं।
- पारिवारिक समस्याएं - 54,127 कुल केस ( 37, 587 पुरुष)
- बीमारी - 31784 कुल केस ( 21, 949 पुरुष)
- ड्रग्स या शराब की लत - 11, 634 कुल केस ( 11,394 पुरुष)
- मानसिक बीमारी - 14, 600 कुल केस (10, 365 पुरुष)
- कर्ज - 7034 कुल केस (6, 417 पुरुष)
- शादी से जुड़ी परेशानियां - 8, 164 कुल केस (4, 237 पुरुष)
- लव अफेयर्स - 7, 629 कुल केस (4, 730 पुरुष)
दहेज उत्पीड़न कानून का दुरुपयोग
भारत में दहेज लोभियों से बचने के लिए बनाए गए दहेज उत्पीड़न कानून का दुरुपयोग जमकर होता रहा है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार चिंता जताई है। 2017 में कानून के गलत इस्तेमाल पर आदेश पारित हुआ और 2018 में महिला संगठनों ने आदेश का विरोध किया। महिला संगठनों के दबाव में SC को अपना आदेश बदलना पड़ा। 2017 में SC के निर्देश दिया था कि देश के हर जिले में फैमिली वेलफेयर कमेटी बनें, जिसमें लीगल स्वयंसेवक और सामाजिक कार्यकर्ता रहें।
कोर्ट ने कहा था कि 498 A की शिकायतों को पहले कमेटी के पास भेजा जाए। कमेटी मामले से जुड़े पक्षों की सच्चाई समझने की कोशिश करे। कमेटी को अपनी रिपोर्ट देने के लिए अधिकतम 1 महीने का समय दिया गया था। कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले कोई गिरफ्तारी न हो, लेकिन जरूरी स्थितियों में रिपोर्ट से पहले गिरफ्तारी का प्रावधान था। पीड़िता की चोट गंभीर हो या मौत हो जाए तो पुलिस कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है।
अपडेटेड 17:33 IST, December 11th 2024