पब्लिश्ड 23:16 IST, July 30th 2024
भ्रामक विज्ञापनों पर HC ने लगाई आयुष मंत्रालय को फटकार, कहा- सार्वजनिक करने की व्यवस्था करे
पीठ ने कहा कि उपभोक्ताओं द्वारा की गई शिकायतों की संख्या, जो पहले 2,500 से अधिक थी, घटकर केवल 130 के आसपास रह गई है।
- भारत
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उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आयुष मंत्रालय को एक डैशबोर्ड स्थापित करना चाहिए ताकि भ्रामक विज्ञापनों पर दर्ज शिकायतों और उन पर हुई प्रगति का विवरण उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जा सके। न्यायालय ने इससे पहले मीडिया में प्रकाशित या प्रदर्शित किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों के पहलू पर प्रकाश डाला था, जो औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के विपरीत हैं।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति की छवि खराब करने का आरोप लगाया गया है। पीठ ने कहा कि प्राप्त शिकायतों पर की गई कार्रवाई के संबंध में उचित आंकड़ों के अभाव के कारण उपभोक्ता असहाय और अंधेरे में रह जाते हैं। इसने कहा, 'आयुष मंत्रालय को प्राप्त शिकायतों का उल्लेख करते हुए एक डैशबोर्ड स्थापित करना चाहिए... ताकि विवरण सार्वजनिक रूप से सामने आ सके।' शीर्ष अदालत को बताया गया कि कई राज्यों में भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित कई शिकायतें दूसरे राज्यों को भेज दी गई थीं, क्योंकि उन उत्पादों का निर्माण करने वाली कंपनियां वहीं स्थित थीं।
पीठ ने कहा कि उपभोक्ताओं द्वारा की गई शिकायतों की संख्या, जो पहले 2,500 से अधिक थी, घटकर केवल 130 के आसपास रह गई है और इसका मुख्य कारण यह प्रतीत होता है कि ऐसी शिकायतों से निपटने के लिए शिकायत निवारण तंत्र का उचित प्रचार नहीं किया गया है। इसने संबंधित मंत्रालय को इस मुद्दे पर गौर करने और दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस से संबंधित पहलू पर भी विचार किया। उत्तराखंड राज्य लाइसेंस प्राधिकरण (एसएलए) ने 15 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस निलंबित करने का आदेश जारी किया था।
हालांकि, प्राधिकरण ने बाद में शीर्ष अदालत में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि विवाद के मद्देनजर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की शिकायतों की जांच करने वाली एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद निलंबन आदेश रद्द कर दिया गया है। 17 मई को, इसने कहा कि 15 अप्रैल के आदेश को रोक दिया गया और एक जुलाई को निलंबन आदेश रद्द कर दिया गया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान, आईएमए की ओर से पेश वकील ने निलंबन आदेश को रद्द करने के बारे में पीठ को बताया। पीठ ने पूछा, 'मौजूदा स्थिति क्या है?'
उत्तराखंड की ओर से पेश वकील ने कहा कि एक जुलाई के आदेश के बाद, पतंजलि को एक नया नोटिस जारी किया गया था और एसएलए को 19 जुलाई को पतंजलि से जवाब मिला। जब राज्य के वकील ने कहा कि उन्होंने मामले में कानूनी राय मांगी है, तो पीठ ने पूछा, 'उन्हें सुनने के बाद मामले को खत्म करने के लिए आपको कितना समय चाहिए?' इसने राज्य को अगली सुनवाई की तारीख से पहले कारण बताओ नोटिस के अनुसरण में आदेश पारित करने और इसकी सूचना पतंजलि को देने को कहा।
अपडेटेड 23:16 IST, July 30th 2024