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पब्लिश्ड 13:06 IST, August 12th 2024

आबकारी नीति घोटाला: केजरीवाल की याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा कोर्ट

केजरीवाल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल | Image: PTI

उच्चतम न्यायालय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सोमवार को सहमत हो गया, जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।

केजरीवाल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष इसका उल्लेख किया।

सिंघवी ने दलील दी कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज मामले के अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं पहले से ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।

इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “कृपया इसे ईमेल करें, मैं इस पर विचार करूंगा।”

मामले से जुड़े वकील विवेक जैन ने सोमवार को बताया कि मुख्यमंत्री ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को उचित करार देते हुए पांच अगस्त को इसे बरकरार रखा था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई की कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं है और उसने साबित किया है कि ‘आप’ सुप्रीमो कैसे उन गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने की हिम्मत जुटा सके।

उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उन्हें नियमित जमानत के लिए पहले निचली अदालत का रुख करने को कहा था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई द्वारा केजरीवाल के खिलाफ प्रासंगिक साक्ष्य जुटाने और उन्हें गिरफ्तार किए जाने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद हो गया और यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के या अवैध थी।

अदालत ने कहा था कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक हैं।

उसने कहा था, “गवाहों पर केजरीवाल का नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से पता चलता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने की हिम्मत जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने रेखांकित किया है।”

उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि पर्याप्त सबूत जुटाए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी हासिल करने के बाद ही केंद्रीय एजेंसी ने उनके खिलाफ आगे की जांच शुरू की।

अदालत ने कहा था कि अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद और प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण गवाह सामने नहीं आ रहे थे। उसने कहा था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना हर अदालत का परम कर्तव्य है कि गिरफ्तारी और रिमांड की असाधारण शक्तियों का दुरुपयोग न हो तथा पुलिस द्वारा लापरवाही या अक्खड़ तरीके से इनका इस्तेमाल न किया जाए।

केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। सुनवाई अदालत ने इस मामले में उन्हें 20 जून को जमानत दे दी थी।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने सुनवाई अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, 12 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी।

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अगस्त 2022 में आबकारी नीति के निर्माण एवं कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद इसे रद्द कर दिया गया था।

सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति में संशोधन में अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारियों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।

ये भी पढ़ेंः BREAKING: निलंबित ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने दी राहत, 21 अगस्त तक गिरफ्तारी पर रोक

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

अपडेटेड 13:06 IST, August 12th 2024

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