Published 12:45 IST, June 23rd 2024
23 जून 2023 को रखी गई थी INDI गठबंधन की नींव; एक साल बाद कहां खड़ा है अलायंस, समझ लीजिए
बिहार की राजधानी पटना में 23 जून 2023 को गैर-एनडीए दलों, मतलब मोदी और बीजेपी विरोधी राजनीतिक पार्टियों का जमावड़ा लगा था। ये विपक्ष की पहली बैठक थी।
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INDI Alliance: ठीक एक बरस पहले 23 जून 2023 को पूरा विपक्ष पटना में जुटा था। उस समय तैयारी लोकसभा चुनावों की थी और उसमें विपक्ष के एक मंच पर आने का मसकद नरेंद्र मोदी और बीजेपी के विजय रथ को रोककर सत्ता पर कब्जा जमाना था। आज 23 जून है और साल 2024, केंद्र में मोदी की सरकार बरकरार है और गैर-एनडीए दल फिर वही विपक्ष की भूमिका में हैं। आसान शब्दों में समझें तो सालभर में राजनीति का चरित्र बदला, मगर संसद के भीतर की परिस्थिति लगभग वही है, जो 16 मार्च 2024 से पहले थी।
केंद्र की सरकार में नरेंद्र मोदी हैं। लगातार तीसरी बार उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला है और ऐसा करके वो आजाद भारत में जवाहर लाल नेहरू की बराबरी करने वाली पहली शख्सियत बने हैं। कांग्रेस से लेकर चाहे टीएमसी हो, सपा हो या लेफ्ट पार्टियां, संसद में उसी स्थिति में खड़ी हैं, जहां वो पिछले 10 साल से हैं। 2014 और 2019 की तरह 2024 में बीजेपी सत्ता पर काबिज है और गैर-एनडीए दल विपक्ष की भूमिका ही निभाएंगे।
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मोदी को हटाने आए, जनता ने नकारा
नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए विपक्ष ने मिलकर INDI गठबंधन बनाया था। 2024 लोकसभा चुनावों के नतीजे आए तो जनता का फैसला मोदी के हक में था। मतलब विपक्ष को जनता ने लगातार तीसरी बार नकार दिया। चुनाव परिणामों के मुताबिक, मोदी की अगुवाई में एनडीए के पास पूर्ण बहुमत आया।
NDA: 292 सीटें (बीजेपी- 240)
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INDI अलायंस: 230 सीटें (कांग्रेस- 99)
INDI गठबंधन कब बना?
बिहार की राजधानी पटना में 23 जून 2023 को गैर-एनडीए दलों, मतलब मोदी और बीजेपी विरोधी राजनीतिक पार्टियों का जमावड़ा लगा था। ये बैठक बिहार के मुख्यमंत्री और JDU के नेता नीतीश कुमार कते आह्वान पर हुई थी। विपक्ष की पहली बैठक में 26 दल आए थे। नीतीश कुमार की मेजबानी वाली पहली बैठक में लालू यादव के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, सीताराम येचुरी, डी राजा, हेमंत सोरेन, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे कई कद्दावर नेता शामिल हुए थे। मतलब ये कि बीजेपी के खिलाफ INDI गठबंधन की नींव ही 23 जून 2023 को रखी गई थी।
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कब-कब INDI गठबंधन की बैठक हुई?
पहली बैठक: 23 जून 2023, पटना
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दूसरी बैठक: 17-18 जुलाई 2023, बेंगलुरु
तीसरी बैठक: 31 अगस्त से 1 सितंबर 2023, मुंबई
चौथी बैठक: 19 दिसंबर 2023, दिल्ली
आखिरी बार: दिल्ली में लोकतंत्र बचाओ रैली का मंच, 31 मार्च 2024
INDI के सूत्रधार नीतीश NDA के किंगमेकर बने
इसमें कोई दोराय नहीं है कि नीतीश कुमार ने पूरे विपक्ष को एकजुट करने के लिए देशभ्रमण कर डाला था। बीजेपी की विचारधारा के विपरीत चलने वाले दलों को वो एक मंच पर लाए थे। उन्हीं के आह्वान पर पटना में पहली बैठक थी। हालांकि 2024 के चुनावों से ठीक पहले नीतीश कुमार एनडीए मतलब नरेंद्र मोदी के साथ आए गए। सबसे दिलचस्प ये है कि जो नीतीश कुमार मोदी सरकार के खिलाफ INDI गठबंधन के सूत्रधार थे, वही चुनावों के बाद NDA के किंगमेकर की भूमिका में हैं।
जयंत चौधरी ने UP में टेंशन बढ़ाई
नीतीश कुमार पहले नेता थे, जिन्होंने INDI अलायंस से किनारा किया। उसके बाद राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने भी विपक्षी दलों का साथ छोड़ दिया था। चुनावों से ठीक पहले ही नीतीश कुमार के बाद जयंत चौधरी ने विपक्ष को टेंशन दी, खासकर उत्तर प्रदेश में। एनडीए में सीट बंटवारे के तहत जयंत चौधरी को दी सीटें मिली थी और उन्होंने दोनों सीटों पर जीत दिलाई।
कहां आकर टूटा था INDI गठबंधन?
बीजेपी विरोधी दलों में एकता पहले से ही नहीं थी। ऐसे समझ सकते हैं कि पूरे विपक्ष को एक मंच पर लाने की कोशिश नीतीश कुमार से पहले ममता बनर्जी और बीआरएस के नेता केसीआर कर चुके थे। दोनों की कोशिश ही विफल साबित हुईं। नीतीश कुमार ने जैसे-तैसे करके विपक्ष को इकट्ठा कर भी लिया था, तो पहली ही मीटिंग में अरविंद केजरीवाल और एमके स्टालिन का नाम आया था, जो संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से गायब थे।
मीटिंग पर मीटिंग होती रहीं, नतीजों के रूप में कुछ निकला नहीं, सिवाय नए विवाद और खींचतान के। 17-18 जुलाई को जब बेंगलुरु में दूसरी बैठक थी, तो 26 दलों ने गठबंधन का नाम रखा था। गठबंधन को INDIA नाम यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस दिया गया। इस नाम का काफी विरोध हुआ। नीतीश कुमार के INDI गठबंधन के बाहर निकलने की वजह भी यही नाम बताया जाता है, जिससे वो नाराज थे। उसके अलावा भी INDI गठबंधन के भीतर प्रधानमंत्री पद के कई दावेदार थे। कई बार सामने आया कि खुद नीतीश कुमार की महत्वांकाक्षा PM बनने की थी। हालांकि उन्हें गठबंधन का संयोजक तक नहीं बनाया गया था।
पीएम उम्मीदवार और संयोजक पद के लिए ही विपक्ष में सबसे बड़ी लड़ाई थी। खैर, उससे भी आगे बढ़े तो सीटों के बंटवारे ने विपक्ष की एकता का सत्यानाश कर दिया था। लोकसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश-राजस्थान समेत कुछ राज्यों में चुनाव हुए थे, लेकिन यहां कांग्रेस ने गठबंधन धर्म ही नहीं निभाया और अकेले मैदान में कूद पड़ी थी। उसके बाद लोकसभा चुनावों में INDI गठबंधन के सहयोगियों के बीच एकता का नामोनिशान ही नहीं था। पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे कई राज्य थे, जहां INDI गठबंधन के सहयोगी दल आपस में ही लड़ने लगे थे। अभी भी हालात ये हैं कि कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों में INDI गठबंधन में शामिल पार्टियां अकेले-अकेले उतरने की तैयारी कर रही हैं। बहरहाल, सबका निचोड़ यही है कि INDI गठबंधन में शामिल सभी दलों को तीसरी बार भी विपक्ष में बैठना पड़ रहा है।
11:00 IST, June 23rd 2024