Published 08:22 IST, August 17th 2024
भारत में एक ऐसी जगह जहां 16 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस,1947 से जारी है परंपरा, जानें वजह
हिन्दुस्तान में एक शहर ऐसा भी जहां 15 नहीं बल्कि 16 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है और ये परंपरा आज की नहीं है बल्कि सदियों पुरानी है l
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Independence Day 2024: भारत ने 15 अगस्त को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। इस मौके पर पूरे देश में ध्वजारोहण हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के लाल किले से तिरंगा झंडा फहराया। मगर क्या आप जानते हैं कि हिन्दुस्तान में एक शहर ऐसा भी जहां 15 नहीं बल्कि 16 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है और ये परंपरा आज की नहीं है बल्कि सदियों पुरानी है।
अंग्रजों से लंबी लड़ाई के बात 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। भारत गुलामी की जंजीरों से बाहर आ गया। हर साल 15 अगस्त के मौके पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ आजादी का पर्व मनाया जाता है। मगर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 40 किलोमीटर दूर एक ऐसी जगह भी है, जहां 15 की जगह 16 अगस्त को आजादी के जश्न को मनाने की परंपरा है।
यहां मनाया गया 16 अगस्त को आजादी का जश्न
हसीन वादियों और खुशनुमा मौसम के लिए जाने जाना वाला शहर शिमला से करीब 40 किलोमीटर दूर ठियोग में हर साल का आजादी का जश्न 15 की जगह 16 अगस्त को मनाया जाता है। ये परंपरा 1947 से चली आ रही है और आजतक कायम है। इस साल भी हर साल की तरह ठियोग में 16 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया गया। इस मौके पर रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया। जिसमें हिमाचल की संस्कृति की झलक देखने को मिली।
स्थानीय विधायक ने बताई वजह
एक दिन बाद आजादी का जश्न मनाने की परंपरा के बारे में ठियोग विधायक कुलदीप सिंह राठौर ने बताया कि, यहां कुछ ऐसा हुआ जो देश के किसी दूसरे भाग में नहीं हुआ। 1947 में आजादी मिली थी लेकिन ठियोग में प्रजामंडल के नेतृत्व में पहले सरकार बन गई थी और स्वतंत्रता के बाद उस अंतरिम सरकार का देश की सरकार में विलय हो गया। यह एक ऐतिहासिक बात है इसलिए हमने मांग भी की है कि इस घटना को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात को जान पाएं।
ठियोग में 16 अगस्त को क्या हुआ था
यहां के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि देश जब आजाद हुआ था तब भी कई रियासतों में बटा हुआ था। साल 1946 में आजादी के एक साल पहले तक देश की 360 रियासतों को राजाओं और निजामों से मुक्त करवाने के के लिए लड़ाई लड़ी जा रही थी। इन्ही रियासतों में एक ठियोग की भी रियासत थी। इसे आजाद कराने की जंग जोरों पर थी।
ठियोग के लोगों ने उस समय वहां के राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। 16 अगस्त 1947 को लोग बासा ठियोग में राजा कर्मचंद के महल के बाहर बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए। जनता के दवाब में राजा को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी। जिसके बाद 16 अगस्त को आखिरकार ठियोग को आजादी मिल गई। ठियोग में 16 अगस्त को पहली डेमोक्रेटिक सरकार बनी थी।
Updated 08:29 IST, August 17th 2024