पब्लिश्ड 07:35 IST, January 14th 2025
Mahakumbh 2025: मकर संक्रांति पर महाकुंभ का पहला अमृत स्नान, जानिए क्यों होता है ये इतना खास?
अमृत स्नान के दौरान सबसे पहले नागा साधु पवित्र त्रिवेणी घाट में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। इसके बाद अन्य भक्तों को संगम में डुबकी लगाने का मौका मिलेगा।
- भारत
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Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का महाआगाज हो गया है। पौष पूर्णिमा स्नान के साथ महाकुंभ मेला की सोमवार (13 जनवरी) से शुरुआत हुई। पहले ही दिन महाकुंभ में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। करोड़ों लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। अब इसके बाद आज यानी मकर संक्रांति के अवसर पर महाकुंभ में पहला अमृत स्नान हो रहा है।
महाकुंभ में कुल तीन अमृत स्नान होंगे। इसमें से पहला अमृत स्नान आज 14 जनवरी 2025 मकर संक्रांति के दिन हो रहा है। अमृत स्नान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में...
अमृत स्नान की शुरुआत
अमृत स्नान के दौरान सबसे पहले नागा साधु पवित्र त्रिवेणी घाट में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। इसके बाद अन्य भक्तों को संगम में डुबकी लगाने का मौका मिलेगा।
क्या होता है अमृत स्नान?
अमृत स्नान में नागा साधु और अन्य संत हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर भव्य तरीके से स्नान करने के लिए आते हैं। नजारा ऐसा होता है जैसे मानो किसी राजा का जुलूस निकल रहा हो। मान्यता है कि प्राचीन काल में साधु-संतों के साथ राजा-महाराजा भी भव्य जुलूस के साथ स्नान के लिए आते थे। इसी परंपरा के चलते शाही स्नान (अमृत स्नान) की शुरुआत हुई।
अमृत स्नान के साथ मंदिर-दर्शन, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। महाकुंभ में शामिल होने वाले नागा साधु, अघोरी और संन्यासी हिंदू धर्म की गहराई और विविधता को दर्शाते हैं।
कब-कब प्रमुख स्नान?
महाकुंभ केवल सिर्फ आस्था का पर्व ही नहीं है। यह हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का मौका भी देता है। इस बार महाकुंभ में कुल छह प्रमुख स्नान होने हैं। इसमें 13 जनवरी को मुख्य स्नान (पौष पूर्णिमा) पर हुआ। इसके बाद आज 14 जनवरी को अमृत स्नान (मकर संक्रांति), 29 जनवरी को अमृत स्नान (मौनी अमावस्या), 3 फरवरी को अमृत स्नान (बसंत पंचमी), 12 फरवरी को मुख्य स्नान (माघी पूर्णिमा) और 26 फरवरी मुख्य स्नान (महाशिवरात्रि) होगा।
अपडेटेड 07:36 IST, January 14th 2025