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पब्लिश्ड 20:18 IST, January 22nd 2025

दिल्ली हाईकोर्ट ED के समन के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर 23 अप्रैल को करेगा सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किये गये समन के खिलाफ बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई 23 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी।

दिल्ली हाईकोर्ट | Image: PTI

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किये गये समन के खिलाफ बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई 23 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने कहा कि इस मामले में बार-बार स्थगन से सुनवाई में देरी हुई है। पीठ ने कहा कि अब और स्थगन नहीं दिया जाएगा।

केजरीवाल के अधिवक्ता ने पीठ से वरिष्ठ वकील की अनुपलब्धता के चलते स्थगन का अनुरोध किया। ईडी के अधिवक्ता ने कहा कि याचिका अब निरर्थक हो गयी है। सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘अब और स्थगन नहीं दिया जाएगा।’’ आप संयोजक ने 21 मार्च, 2024 को पेशी के लिए ईडी द्वारा नौंवा समन जारी किये जाने के बाद उच्च न्यायालय का रूख किया था।

उच्च न्यायालय ने 20 मार्च, 2024 को जांच एजेंसी से याचिका की पोषणीयता पर जवाब दाखिल करने को कहा। अगले ही दिन उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से छूट देने की केजरीवाल की अर्जी पर भी ईडी से जवाब मांगा था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘इस चरण में’ वह उन्हें कोई अंतरिम राहत देने के पक्ष में नहीं है।

केजरीवाल को उसी शाम ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था और फिलहाल वह धनशोधन मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। उच्चतम न्यायालय ने केजरीवाल को राहत प्रदान करते हुए धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता’ के पहलू पर गहन विचार के लिए इसे एक बड़ी पीठ को भेज दिया था।

सीबीआई ने केजरीवाल को 26 जून, 2024 को भ्रष्टाचार के कथित मामले में गिरफ्तार कर लिया था। शीर्ष अदालत ने 13 सितंबर, 2024 को इस मामले में उन्हें जमानत दे दी थी। ईडी ने आरोप लगाया है कि मामले के अन्य आरोपी अब समाप्त हो चुकी आबकारी नीति तैयार करने के लिए केजरीवाल के संपर्क में थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अनुचित लाभ मिला और आप को रिश्वत मिली।

अपनी याचिका में केजरीवाल ने गिरफ्तारी, पूछताछ और जमानत देने से संबंधित पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी। उन्होंने कई मुद्दे उठाए हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि क्या कोई राजनीतिक दल धनशोधन विरोधी कानून के अंतर्गत आता है।

केजरीवाल की याचिका में आरोप लगाया गया है कि आम चुनाव में गैर-समान अवसर पैदा करने के लिए पीएमएलए के तहत ‘मनमानी प्रक्रिया’ का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि ‘चुनावी प्रक्रिया को केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मोड़ा जा सके।’ याचिका में कहा गया कि चूंकि याचिकाकर्ता सत्तारूढ़ पार्टी का ‘मुखर आलोचक’ और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का साझेदार है, इसलिए केंद्र के नियंत्रा णाधीन ईडी को हथियार बनाया जा रहा है।

अपडेटेड 20:18 IST, January 22nd 2025

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