Published 17:19 IST, September 25th 2024
Reality Check: CM योगी के नए आदेश पर सियासी बवाल,जानिए आरिफ-अंकित समेत इन दुकानदारों की क्या है राय?
उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर नेमप्लेट का आदेश दिया है। खाने पीने की चीजें बेचने वालों को नाम और पता डिस्प्ले करना अनिवार्य होगा। रेस्टोरेंट में CCTV लगाने होंगे।
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कोमल बहल/गौरव त्रिवेदी/जतिन शर्मा/अजय कुमार दूबे
Uttar Pradesh News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ये आदेश देकर विवाद को फिर से हवा दे दी कि उत्तर प्रदेश में सभी होटल-ढाबा और रेस्तरां मालिकों को नेमप्लेट लगानी होगी। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सरकार के नेमप्लेट वाले आदेश पर पहले भी विवाद हुआ। वो कावड़ यात्रा का समय था और वो मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जहां से नेमप्लेट पर अंतरिम रोक भी लग गई। वो मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार फिर से नया आदेश लेकर आ गई है।
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उत्तर प्रदेश में खाने-पाने की चीजों में पेशाब मिलाने और थूकने जैसी हालिया घटनाओं के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य विभाग के अधिकारियों संग बातचीत की। उसके बाद राज्य सरकार ने होटल-ढाबों पर दुकान के असली मालिक का नेमप्लेट लगाने का निर्देश जारी किया। आदेश के मुताबिक, खाने पीने की चीजें बेचने वालों को नाम और पता डिस्प्ले करना अनिवार्य होगा। पूरे रेस्टोरेंट में CCTV लगाने होंगे। कर्मचारियों को मास्क-ग्लव्स पहनना जरूरी होगा। फिलहाल इस पर राजनीति शुरू होने लगी है तो विवाद के बीच राज्य सरकार के आदेश का पालन भी कई जगह होने लगा है। ऐसे में कोई की राय को समझने की कोशिश करते हैं।
गाजियाबाद में दुकानदार नेमप्लेट के फैसले के साथ
राज्य सरकार के इस आदेश का असर गाजियाबाद के लोनी में देखने को मिला। लोनी बाजार के सभी दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाया गया है। जिसमें हिंदू दुकानदार और मुस्लिम दुकानदार दोनों ने नेमप्लेट लगाया हुआ है और सरकार के इस आदेश का स्वागत किया है। चांट बेचने वाले विक्की नाम के युवक ने कहा कि सरकार का फैसला सही है। ये हमें सही लगा है। फल बेचने वाले अंकित नाम के व्यक्ति ने कहा कि हमने अपने नाम से बोर्ड लगा दिया है। उन्होंने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है। एक और फल विक्रेता अकरम ने कहा कि हम सरकार के फैसले के साथ हैं। ये अच्छी बात है। आरिफ नाम के युवक ने कहा कि हमें अपना नाम लिखने में कोई परेशानी नहीं है। सरकार का फैसला बिल्कुल सही है।
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लखनऊ के आरिफ ने फैसले का स्वागत किया
योगी सरकार के आदेश के बाद सरकार के इंप्लीमेंटेशन से पहले लोग खुद ही अपनी दुकानों पर अपने नाम चिपकाने लगे हैं। लखनऊ में बीजेपी कार्यालय के बाहर आरिफ की दुकान है, जो 25 साल से लोगों को जूस पिला रहे हैं। आरिफ ने योगी सरकार के आदेश के बाद खुद एक वाइट पेपर पर अपना नाम लिखकर लगा दिया है। आरिफ का कहना है कि नाम क्यों छुपाना है, नाम में शर्म क्या है। उन्होंने यहां तक कहा कि जो गलत करते हैं वो नाम छुपाते हैं, नाम का विरोध करते हैं। आरिफ ने कहा कि सरकार के आदेश से पहले ही सारे प्रोटोकॉल हैं। नाम शान से लगाया है और सरकार का स्वागत करते हैं।
कानपुर के दो ढाबों से रियलिटी चेक
कानपुर के दो ढाबों पर रियलिटी चेक किया गया। दोनों ही ढाबों में नाम डिस्प्ले पर था और कर्मचारियों ने मास्क भी पहन रखा था। बातचीत में ढाबों के मालिकों ने बताया कि इस तरह जो हाल में घटनाएं सामने आई बहुत ही निंदनीय हैं। ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने ढाबा मालिकों ने भी राज्य सरकार के निर्देश का स्वागत किया है।
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कानपुर के बिरहाना रोड इलाके में दूध दही के उत्पादों की दुकान पर जब रिपब्लिक की टीम ने रियलिटी चेक किया तो वहां भी डिस्प्ले पर नाम पर था, लेकिन मास्क नहीं था। इस पर दुकानदार से बातचीत करने पर उसने बताया कि मास्क भूल गया है। वो मंगवाकर लगा लेगा। बाकी इस आदेश की सराहना उसने भी की और कहा कि जो लोग इस तरह से नाम छुपाकर खाने पीने के सामान बेच रहे थे, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मुजफ्फरनगर में रियलिटी चेक
मुजफ्फरनगर के UP 12 किंग कैफे नाम के एक रेस्टोरेंट में रिपब्लिक की टीम पहुंची। कावड़ के समय में इन सभी दुकानों के बाहर मालिकों के नाम के बोर्ड लगे हुए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद सभी ने अपने वो बोर्ड हटा दिए। अब यूपी सरकार ने सीसीटीवी से लेकर दुकान के मालिक मैनेजर के नाम चस्पा करने के निर्देश जारी किए हैं। इस इन लोगों का है कि अभी तक उन्हें इस निर्देश के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। अगर प्रशासन उन्हें नाम लिखने को बोलेगा तो वो कानून का पालन करेंगे। इन दुकानों में कुछ दुकान ऐसी भी हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। दुकानदारों का कहना है कि वो जल्द सीसीटीवी कैमरे भी लगवाएंगे।
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मुजफ्फरनगर में ढाबा मालिकों ने कदम उठाए
मुजफ्फरनगर में भी ढाबों पर मालिकों ने नेमप्लेट लगाए हैं। रिपब्लिक भारत की टीम जब मुजफ्फरनगर हरिद्वार हाईवे पर पहुंची तो वहां एक ढाबा नजर आया। ढाबे के बाहर मोहम्मद सलीम प्रोपराइटर के तौर पर एक बोर्ड लगा हुआ था। लेकिन ये ढाबा पिछले 25 सालों से संगम ढाबा के नाम से चल रहा था। जब हाईवे पर बने इस ढाबे के अंदर पहुंचे तो वहां पर काम कर रहे हर कर्मचारियों के मुंह पर मास्क लगा नजर आया, कर्मचारियों ने सिर पर टोपी पहनी हुई थी। यहां तक की काउंटर पर बैठे मोहम्मद सलीम भी अपने चेहरे को मास्क से ढके नजर आए। ढाबे के मलिक मोहम्मद सलीम ने बताया कि वो पिछले 25 सालों से ये ढाबा संगम शुद्ध भोजनालय के नाम से चला रहे थे, लेकिन कावड़ यात्रा के दौरान जब दुकान के बाहर नाम लिखने की चर्चाएं तेज हुई। तभी से उन्होंने अपने इस ढाबे का नाम सलीम शुद्ध भोजनालय के नाम से रख दिया।
17:19 IST, September 25th 2024