Published 09:48 IST, December 12th 2024
Atul Subhash: 'पत्नी को शव के पास ना आने दें और बेटा...' वो आखिरी इच्छाएं, जो बताकर गए अतुल सुभाष
अतुल सुभाष मरने से पहले 23 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखकर गए। इसमें अपने हालात से लेकर पत्नी की प्रताड़ना और सिस्टम में रगड़ने तक की कहानी बताई।
Atul Subhash Death Case: अतुल सुभाष को पत्नी की प्रताड़ना खाए जा रही थी। हालातों ने अतुल सुभाष को कमजोर कर दिया था। सिस्टम के आगे और महिला की सुनवाई के चलते अतुल सुभाष की सुनने वाला कोई नहीं था। कुछ इसी तरह के आरोप लगाते हुए बेंगलुरू के AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने मौत को गले लगा लिया। फिलहाल आत्महत्या करने वाले अतुल सुभाष के लिए देश में आवाज उठ रही है। लोग अतुल सुभाष के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं। हालांकि इसके पहले अतुल सुभाष खुद अपने लिए आवाज उठाकर गए हैं। उन्होंने अपनी आखिरी इच्छाएं भी लिखकर दी हैं।
अतुल सुभाष मरने से पहले 23 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखकर गए। इसमें अपने हालात से लेकर पत्नी की प्रताड़ना और सिस्टम में रगड़ने तक की कहानी बताई। 23 पन्नों के सुसाइड नोट के आखिरी में अतुल सुभाष ने अपनी आखिरी इच्छाओं का जिक्र किया। फिलहाल वो आपको बताते हैं...
अतुल सुभाष की आखिरी इच्छाएं
- मेरे सभी मामलों की सुनवाई लाइव होनी चाहिए और इस देश के लोगों को मेरे मामले के बारे में पता होना चाहिए। ये जानना चाहिए कि न्याय व्यवस्था की भयानक स्थिति और ये महिलाएं कानून का कितना दुरुपयोग कर रही हैं।
- कृपया मेरे इस सुसाइड नोट और वीडियो को मेरे बयान और सबूत के तौर पर स्वीकार करें।
- रीता कौशिक उत्तर प्रदेश में जज हैं। मुझे डर है कि वो दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर सकती हैं, गवाहों पर दबाव डाल सकती हैं और अन्य मामलों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। मेरे अनुभव के आधार पर बेंगलुरु की अदालतें यूपी की अदालतों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक कानून का पालन करती हैं। मैं न्याय के हित में कर्नाटक में मामलों को चलाने और मुकदमा चलने तक उसे बेंगलुरु में न्यायिक और पुलिस हिरासत में रखने का अनुरोध करता हूं।
- मेरे बच्चे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दें, जो उसे बेहतर पाल सकें।
- मेरी पत्नी या उसके परिवार को मेरे शव के पास ना आने दें।
- मेरे उत्पीड़कों को सजा मिलने तक मेरा अस्थि विसर्जन ना करें। अगर कोर्ट ये फैसला सुनाता है कि भ्रष्ट जज, मेरी पत्नी और अन्य उत्पीड़क दोषी नहीं हैं, तो मेरी राख को कोर्ट के बाहर किसी नाले में बहा देना।
- मेरे उत्पीड़कों को अधिकतम सजा देना। हालांकि मुझे हमारी न्याय व्यवस्था पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है। अगर मेरी पत्नी जैसे लोगों को जेल नहीं भेजा गया तो उनका हौसला और बढ़ेगा। वो भविष्य में समाज के अन्य बेटों पर और भी झूठे मामले दर्ज कराएंगे।
- न्यायपालिका को जगाना और उनसे मेरे माता-पिता तथा मेरे भाई को झूठे मामलों में परेशान करना बंद करने का आग्रह है।
- इन दुष्ट लोगों के साथ कोई बातचीत, समझौता और मध्यस्थता नहीं होनी चाहिए। दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
- मेरी पत्नी को सजा से बचने के लिए केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि वो स्पष्ट रूप से स्वीकार न कर ले कि उसने झूठे मामले दर्ज कराए हैं।
- मेरा अनुमान है कि मेरी पत्नी अब सहानुभूति पाने के लिए मेरे बच्चे को कोर्ट में लाना शुरू कर देगी, जो उसने पहले नहीं किया था। ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि मैं अपने बच्चे से न मिल सकूं। मैं कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि इस नाटक की अनुमति न दी जाए।
- अगर उत्पीड़न और जबरन वसूली जारी रहे तो शायद मेरे बूढ़े माता-पिता को औपचारिक रूप से अदालत से इच्छामृत्यु की मांग करनी चाहिए। आइए इस देश में पतियों के साथ-साथ माता-पिता को भी औपचारिक रूप से मार डालें और न्यायपालिका के इतिहास में एक काला युग बनाएं। अब कथाएं सिस्टम की ओर से नियंत्रित नहीं होंगी। समय बदल गया है।
Updated 10:58 IST, December 12th 2024