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Published 23:45 IST, October 3rd 2024

आप नेता सत्येंद्र जैन ने कहा : धनशोधन मामले में जांच अधूरी; अदालत से ‘डिफॉल्ट’ जमानत मांगी

दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से धनशोधन के एक मामले में उन्हें ‘डिफॉल्ट जमानत’ देने का आग्रह किया।

​​Satyendar Jain | Image: PTI

दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से धनशोधन के एक मामले में उन्हें ‘डिफॉल्ट जमानत’ देने का आग्रह किया और कहा कि उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच अधूरी है।

जेल में बंद जैन के वकील ने दलील दी कि निचली अदालत ने अधूरी सामग्री के आधार पर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और ऐसा संज्ञान कानून के तहत वैध नहीं है।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मामले को नौ अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया है, जब विभिन्न पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी जाएंगी। अदालत ने जैन के वकील को संक्षिप्त लिखित दलीलें दाखिल करने की भी अनुमति दी।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, ईडी के वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय की एक समन्वय पीठ ने हाल ही में सह-आरोपी अंकुश जैन और वैभव जैन की याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें अधूरी जांच के आधार पर मामले में 'डिफ़ॉल्ट जमानत' का अनुरोध किया गया था।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि अधीनस्थ अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला है कि याचिकाकर्ताओं (वैभव और अंकुश जैन) के खिलाफ दाखिल शिकायत (आरोप पत्र) अपराध से जुड़े सभी आवश्यक तत्वों को समाहित करने के संदर्भ में पूर्ण थी

हालांकि, आप नेता के वकील ने कहा कि अन्य आरोपियों के खिलाफ हो सकता है कि जांच पूरी हो गई हो, लेकिन उनकी दलील यह है कि सत्येंद्र जैन के संबंध में जांच पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘निचली अदालत ने अधूरी सामग्री के आधार पर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था, इसलिए कानून की नजर में यह संज्ञान नहीं है।’’

अदालत को यह भी बताया गया कि जैन की नियमित जमानत याचिका निचली अदालत में लंबित है।

जैन पर कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिये धनशोधन का आरोप है। उन्होंने निचली अदालत के 15 मई के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उन्हें मामले में ‘डिफॉल्ट जमानत’ देने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने 28 मई को नोटिस जारी करके याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था।

जैन ने दलील दी है कि ईडी वैधानिक अवधि के भीतर सभी मामलों में जांच पूरी करने में विफल रही और अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोपपत्र), जो अधूरी थी, उसे दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167(2) के प्रावधानों के तहत ‘डिफॉल्ट जमानत’ के उनके अधिकार से वंचित करने के प्रयास में दायर किया गया था।

इस मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था। अंकुश और वैभव को ईडी ने 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया था।

Updated 23:45 IST, October 3rd 2024

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