Download the all-new Republic app:

Published 12:48 IST, September 19th 2024

Birthday Special: इन फिल्ममेकर्स की बोल्डनेस ने बटोरी सुर्खियां, आज भी चढ़ा है होंठों पर नाम

बोल्ड, बिंदास और बेबाक दोनों फिल्ममेकर। समय से आगे की सोच और उपलब्धियां ऐसी कि कोई भी रश्क कर जाए।

Follow: Google News Icon
×

Share


Birthday Special mahesh bhatt | Image: ians

बोल्ड, बिंदास और बेबाक दोनों फिल्ममेकर। समय से आगे की सोच और उपलब्धियां ऐसी कि कोई भी रश्क कर जाए। एक है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को 'जख्म' देकर भी 'स्वाभिमान' का पाठ पढ़ाने वाले महेश भट्ट तो दूसरे तेलुगू सिनेमा का सरताज 'एकेआ' यानि पद्मश्री, पद्मभूषण और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित अक्किनेनी नागेश्वर राव। दोनों हुनरबाज 20 सितंबर को ही जन्मे।

महेश भट्ट की फिल्मों में यथार्थ दिखा तो…

संयोग ऐसा कि दोनों फिल्ममेकर्स का जीवन कभी 'बेड ऑफ रोजेज' नहीं रहा। संघर्ष किया और फिर अपना मुकाम बनाया। महेश भट्ट की फिल्मों में यथार्थ दिखा तो थोड़ा पाश्चात्य पुट भी वहीं दक्षिण के मेगास्टार एकेआर को भारतीयता ओढ़ी फिल्मों पर नाज था। बोल्ड दोनों थे पर कैसे?

एकेआर का जन्म 20 सितंबर 1924 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ। गरीब परिवार था। पांच भाई बहनों में सबसे छोटे। चूंकि गरीब किसान के बेटे थे तो पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए। 10 साल से थिएटर करना शुरू कर दिया। बड़े होने तक मन रमा रहा। उस जमाने में एक बोल्ड स्टेप उठाया। वो ऐसे कि महिला किरदारों को स्टेज पर प्ले करते रहे। उस दौर में ये अटपटा था और थिएटर की जरूरत भी क्योंकि महिलाओं का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था। खैर, एकेआर ने अपनी पहचान बना ली। पहली बार पर्दे पर दिखे 1941 की तेलुगू फिल्म धर्मपत्नी में। इसमें सपोर्टिंग रोल निभाया। बड़ा ब्रेक मिला श्री सीता राम जननम् में। श्री राम की लीड भूमिका निभाई और फिर तो अभिनय की गाड़ी चल पड़ी। 'देवदासु' ने इन्हें तेलुगू सिनेमा का 'ट्रैजेडी किंग' बना दिया।

बोल्ड काम तो इन्होंने एक और किया। उस दौर में जब तेलुगू फिल्में मद्रास (चेन्नई) में ही बनाई जाती थी तो इन्होंने पूरी तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री को हैदराबाद री लोकेट कराया। इस इंडस्ट्री को नई पहचान दिलाई। साल दर साल एक्टिंग का जलवा बिखेरा फिर फिल्मों का निर्माण करने लगे। कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए और मेगास्टार के रूप में खुद को स्थापित कराया। कैंसर की वजह से 22 जनवरी 1914 को दुनिया को अलविदा कह गए।

वैसे आज की पीढ़ी इन्हें एक्टर नागार्जुन के पिता और नागा चैतन्य के दादा के तौर पर जानती है। नागार्जुन ने सालों पहले पिता को याद करते हुए लिखा था- जब मैं अभिनय की दुनिया में आया, तब भारतीय सिनेमा में कई बदलाव हो चुके थे। मेरे पिता को यह बिल्कुल पसंद नहीं था। वह अक्सर पूछते थे कि हमारे सिनेमा को पश्चिम की ओर झुकाव की आवश्यकता क्यों है?

ऐसे ही हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बोल्ड राइटर, डायरेक्टर और अब एक्टर हैं महेश भट्ट। जन्म 20 सितंबर 1948 को हुआ। डायरेक्शन की शुरुआत ही एडल्ट फिल्म से की। नाम था 'मंजिलें और भी हैं'। एक्टर कबीर बेदी और प्रेमा नारायण के साथ। बेटी पूजा भट्ट का मानना है कि उनके पिता ने तब समय से आगे की फिल्म बनाई।

बोल्ड भट्ट ने आर्ट से लेकर कमर्शियल फिल्म्स में हाथ आजमाया और सफल भी रहे। बोल्ड बिंदास तो ऐसे कि बेटी को 'किस' किया तब गॉसिप मैगजीन्स के कवर पेज पर छा गए। जो किया उसे किसी से छुपाया भी नहीं।

रियल लाइफ को रील पर कह सुनाया। कई फिल्में उनकी जिंदगी की उलझन को दर्शाती रहीं। चाहें 'अर्थ' हो, 'जख्म' हो, 'आशिकी' या 'फिर तेरी कहानी याद आई'। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर बनी 'अर्थ' आज भी 'कल्ट' फिल्मों की श्रेणी में आती है। 'जख्म' भी ब्राह्मण पिता (नानाभाई भट्ट) के मुस्लिम मां (शिरीन मोहम्मद अली) के बाद की दुश्वारियों को दिखाती है। 'आशिकी' में अपनी पहली बीवी से प्यार की दास्तां को पर्दे पर उतारा तो 'फिर तेरी कहानी याद आई' (1993) में परवीन बाबी के साथ रिलेशनशिप को दुनिया के सामने खोल कर रख दिया।

'एकेआर' की तरह ही महेश भट्ट ने भी मुफलिसी को महसूस किया। यही वजह है कि पढ़ाई 11 वीं तक की फिल्म पैसे जुटाने के जुगाड़ में लग गए। दो बार शादी की। पहली पत्नी को तलाक नहीं देना चाहते थे तो दूसरी सोनिया राजदान से शादी मुस्लिम धर्म अपना कर की। जो किया उसे कभी छुपाया नहीं अपनी कमजोरियों पर खुलकर बोले। महेश भट्ट ने फिल्मों के जरिए अपनी कहानी कही तो समाज को आईना भी बखूबी दिखाया। एक फिल्म जिसके बिना इस डायरेक्टर की सक्सेस स्टोरी अधूरी है वो है सारंश। जिसने विदेशों में भी इनकी स्टोरी टेलिंग का डंका बजवाया और हिंदी सिने जगत को अनुपम खेर जैसे कलाकार से रूबरू कराया।

उम्र बढ़ रही है लेकिन भट्ट का खुद से एक्सपेरिमेंट करने का जज्बा खत्म नहीं हो रहा। 2019 में 70 बरस में एक फिल्म में बतौर एक्टर डेब्यू कर एक बार फिर सबको चौंका दिया। फिल्म का नाम है द डार्क साइड ऑफ लाइफ: मुंबई सिटी। करियर ग्राफ बताता है कि महेश भट्ट विशेष हैं और इनका अंदाज बेबाक। लेगसी की बात करें तो अनुपम खेर के अलावा अनु अग्रवाल, राहुल रॉय, बिपाशा बसु और दुश्मन के जरिए आशुतोष राणा से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को गुलजार किया। डायरेक्शन में अब हाथ नहीं आजमा रहे लेकिन कलम खूब चल रही है। किताबें भी लिख रही है और स्क्रिप्ट भी।

(Note: इस IANS कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

ये भी पढ़ें - प्रतिज्ञा के ठाकुर सज्जन सिंह को भूले नहीं लोग, जानें कैसा रहा इनका सफर

 

Updated 12:48 IST, September 19th 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.