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Published 17:18 IST, September 2nd 2024

J&K Election: अलगाववादियों का चुनाव लड़ना वैचारिक परिवर्तन का संकेत, उमर अब्दुल्ला बोले

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अलगाववादियों के चुनाव लड़ने से नेशनल कांफ्रेंस के इस रुख की पुष्टि हुयी है कि हिंसा से किसी मुद्दे का समाधान नहीं हो सकता।

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National Conference leader Omar Abdullah. | Image: PTI

Jammu Kashmir Election: नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि अलगाववादी नेताओं का मुख्यधारा के दलों में शामिल होने और जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ने का फैसला अलगाववादी खेमे में वैचारिक बदलाव का संकेत है। अब्दुल्ला ने गांदरबल जिले के कंगन इलाके में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "इससे पहले जब भी चुनाव होते थे, वे (अलगाववादी) बहिष्कार का मुद्दा उठाते थे। आज वे चुनाव लड़ रहे हैं... यह दर्शाता है कि वैचारिक परिवर्तन हुआ है।"

पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके उमर ने कहा कि अलगाववादियों के चुनाव लड़ने से नेशनल कांफ्रेंस के इस रुख की पुष्टि हुयी है कि हिंसा से किसी मुद्दे का समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, "हमने हमेशा यह कहा है कि हम जो भी हासिल कर सकते हैं, लोकतांत्रिक तरीकों से हासिल करेंगे। अगर उनमें (अलगाववादियों में) लोकतंत्र के प्रति आस्था पैदा हो गई है तो यह हमारे लिए एक उपलब्धि है.... भले ही वे किसी भी राजनीतिक दल में शामिल हों।"

यह पूछे जाने पर कि क्या अलगाववादी नेता सैयद सलीम गिलानी का पीडीपी में शामिल होना 2002 के चुनावों में पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) को अलगाववादियों के समर्थन का सबूत है, अब्दुल्ला ने कहा, "यदि आप मुझसे इस सवाल का जवाब दिलवाकर दरार पैदा करना चाहते हैं, तो मैं इसका जवाब नहीं दूंगा।" जम्मू-कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रभारी के तौर पर राम माधव की नियुक्ति के संबंध में सत्यपाल मलिक के बयान का जिक्र करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पूर्व राज्यपाल के केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ बहुत करीबी संबंध थे।

उन्होंने कहा, "उन्हें बेहतर पता होगा, उन्हें भाजपा ने यहां भेजा था और 2019 में जो कुछ भी हुआ वह उनकी देख-रेख में हुआ।" यह पूछे जाने पर कि क्या माधव को पीडीपी के साथ गठबंधन करने के लिए जम्मू-कश्मीर भेजा गया है, उमर ने कहा कि केवल भाजपा ही इस पर कुछ कह सकती है। उन्होंने कहा, "हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि माधव के पीडीपी के साथ सबसे अच्छे संबंध हैं। वही (2014 में) पीडीपी और भाजपा को गठबंधन सरकार बनाने के लिए एक मंच पर लेकर आये। शायद उन्हें फिर से उसी उद्देश्य के लिए वापस लाया गया है।"

 

Updated 17:18 IST, September 2nd 2024

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