Published 15:38 IST, September 12th 2024
Vinesh Phogat के करियर पर संकट? कुश्ती के बाद नौकरी भी छोड़ी, अब जुलाना के सियासी मैदान में फंस गईं
विनेश फोगाट के लिए जुलाना को जीतना आसान नहीं है। जुलाना विधानसभा क्षेत्र में ओलंपियन पहलवान फोगाट के खिलाफ एक नहीं-दो नहीं, बल्कि 4-4 धुरंधर मैदान में खड़े हैं।
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Vinesh Phogat : पहलवान से राजनेता बनीं और हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट ने राजनीति के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है। कुश्ती से संन्यास ले चुकी है। राजनीति में आने के पहले रेलवे की नौकरी छोड़ दी। ले-देकर राजनीति बची है और उसमें सामने जो चुनौती खड़ी हो चुकी हैं, उसके बाद ये कहना शायद ही गलत होगा कि विनेश फोगाट का करियर एक बड़े संकट की ओर बढ़ सकता है।
कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट के लिए जुलाना को जीतना आसान नहीं है। जुलाना विधानसभा क्षेत्र में ओलंपियन पहलवान फोगाट के खिलाफ एक नहीं-दो नहीं, बल्कि 4-4 धुरंधर मैदान में खड़े हैं। जुलाना में अगर देखा जाए तो सीधे तौर पर हर एक राजनीतिक पार्टी का मुकाबला विनेश फोगाट से ही होगा। आम आदमी पार्टी, जेजेपी और इनेलो उम्मीदवारों के मैदान में आने से यहां भारतीय जनता पार्टी फायदे की स्थिति में हो सकती है, जो विनेश फोगाट के लिए सबसे बड़ी चिंता होगी।
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जुलाना में किस पार्टी से कौन उम्मीदवार?
- कांग्रेस- विनेश फोगाट
- बीजेपी- योगेश बैरागी
- AAP- कविता दलाल
- इनेलो- सुरेंद्र लाठर
- जेजेपी- अमरजीत ढांडा
जुलाना में विनेश के सामने कड़ी टक्कर
विनेश फोगाट ने जुलाना को इसलिए चुना कि यहां उनका ससुराल है। जुलाना में बख्ता खेड़ा गांव उनके पति सोमवीर राठी का पैतृक गांव है। पेरिस ओलंपिक में जिस तरह के घटनाक्रम में वो पदक से चूकीं थी और उससे लोगों में जो सहानुभूति की लहर जगी, उसी की बदौलत विनेश फोगाट जीत की उम्मीद लेकर चल रही हैं। विनेश का कहीं ना कहीं सोचना यही होगा कि खेल के मैदान में जो प्यार लोगों ने दिया, ठीक उसी तरह राजनीति के अखाड़े में लोग उनका हौसले बढ़ाएंगे और जीत दिलाएंगे। खैर, ये सोचने और देखने में ही अच्छा लग सकता है, जबकि सतही तौर पर परिस्थितियां बदल जाती हैं।
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जुलाना विधानसभा क्षेत्र जाट बहुल है। योगेश बैरागी को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख कैंडिडेट जाट समुदाय से आते हैं, जिनमें विनेश फोगाट के अलावा AAP की कविता दलाल, इनेलो के सुरेंद्र लाठर और जेजेपी के अमरजीत ढांडा शामिल हैं। जातीय आंकड़ों को समझें तो तकरीबन 80 हजार जाट वोटर्स जुलाना में हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग से करीब 33 हजार और एससी वर्ग से 29 हजार से अधिक वोटर्स आते हैं। ऐसे में अगर जाट वोटबैंक बंटता है और विनेश के सामने जेजेपी-आप और इनेलो पार्टियां वोट कटवा साबित होती हैं तो सबसे बड़ा फायदा बीजेपी उम्मीदवार को मिल सकता है।
कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड भी विनेश के लिए चुनौती!
इसको समझना होगा कि जुलाना सीट पर कांग्रेस पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड ज्यादा ठीक नहीं रहा है। 15 साल से जुलाना की जनता ने कांग्रेस को कदम जमाने नहीं दिए हैं। आखिरी बार कांग्रेस यहां 2005 में जीती थी। उसके बाद से 2 बार इनेलो और पिछली बार जेजेपी का खाता खुला था। विनेश के लिए एक चुनौती तब और बढ़ जाती है, जब जेजेपी ने अपने उसी उम्मीदवार पर दांव लगाया है, जिसने 2019 के चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई थी। बहरहाल, ओलंपियन विनेश फोगाट सियासी जंग में बुरी तरह फंस गई हैं।
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15:20 IST, September 12th 2024