Published 15:08 IST, August 23rd 2024
अनिल अंबानी को बड़ा झटका, SEBI ने 5 साल के लिए मार्केट से किया बैन,करोड़ों का ठोका जुर्माना
सेबी ने अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों को धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
- बिज़नेस न्यूज़
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उद्योगपति अनिल अंबानी तथा रिलायंस होम फाइनेंस के पूर्व प्रमुख अधिकारियों समेत 24 अन्य को कंपनी से धन के हेर-फेर के मामले में प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।
सेबी ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अंबानी को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार नियामक के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) लेने से भी पांच साल के लिए रोक लगा दी है।
इसके अलावा 24 इकाइयों पर 21 करोड़ रुपये से लेकर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही नियामक ने रिलायंस होम फाइनेंस को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है और उसपर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
अनिल अंबानी नीत रिलायंस समूह की कंपनी को इस संबंध में भेजे ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला है। रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के धन की कथित हेरा-फेरी की कई शिकायतें मिलने के बाद सेबी ने किसी भी नियामकीय उल्लंघन का पता लगाने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 की अवधि के लिए जांच की।
सेबी के जांच में हुए ये खुलासे
सेबी ने जांच में पाया कि अनिल अंबानी ने आरएचएफएल के केएमपी अमित बापना, रवींद्र सुधालकर और पिंकेश आर. शाह की मदद से कंपनी से धन निकालने के लिए एक धोखाधड़ी की योजना बनाई। इसमें इस पैसे को कंपनी से जुड़ी इकाइयों को कर्ज के रूप में दिखाया गया था। आरएचएफएल के निदेशक मंडल ने हालांकि इस तरह की ऋण देने की प्रथाओं को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए थे और कॉरपोरेट ऋणों की नियमित समीक्षा की थी, लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन आदेशों की अनदेखी की।
नियामक ने कहा कि इसके अलावा, शेष इकाइयों ने या तो अवैध रूप से हासिल कर्ज के प्राप्तकर्ता की भूमिका या आरएचएफएल से धन को अवैध रूप से कहीं और पहुंचाने की प्रक्रिया को अंजाम देने में भूमिका निभाई है। सेबी ने कहा कि उसके निष्कर्षों के अनुसार, ‘‘ धोखाधड़ी की एक साजिश नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) ने रची और आरएचएफएल के केएमपी ने इसे अंजाम दिया। इस साजिश के जरिये सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी (आरएचएफएल) से धन की हेराफेरी की गई और उन अयोग्य उधारकर्ताओं को ‘‘ऋण’’ के रूप में दिया गया जो नोटिसी संख्या 2 (अनिल अंबानी) से संबद्ध इकाइयों के प्रवर्तक पाए गए।’’
अनिल अंबानी पर धोखाधड़ी का आरोप
अंबानी ने धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए ‘‘एडीए समूह के चेयरमैन’ के तौर पर अपने पद और आरएचएफएल की नियंत्रक (होल्डिंग) कंपनी में अपनी महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष शेयरधारिता का इस्तेमाल किया।सेबी ने बृहस्पतिवार को अपने 222 पृष्ठ के आदेश में कंपनी के प्रबंधन तथा प्रवर्तक के लापरवाह रवैये का जिक्र किया, जिसके तहत उन्होंने ऐसी कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जिनके पास न तो परिसंपत्तियां थीं, न ही नकदी प्रवाह, ‘नेटवर्थ’ या राजस्व था।
आदेश के अनुसार, इससे पता चलता है कि 'कर्ज' के पीछे कोई खतरनाक मकसद छिपा था। सेबी ने कहा कि स्थिति तब और भी संदिग्ध हो गई जब हम इस बात पर गौर करते हैं कि इनमें से कई कर्जदार आरएचएफएल के प्रवर्तकों से करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं।नियामक के अनुसार, आखिरकार इनमें से अधिकतर कर्ज लेने वाले उसका भुगतान करने में विफल रहे, जिसके कारण आरएचएफएल को अपने स्वयं के ऋण दायित्वों पर चूक करनी पड़ी। इस कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ढांचे के तहत कंपनी का समाधान हुआ, जिससे इसके सार्वजनिक शेयरधारक मुश्किल स्थिति में आ गए।
मिसाल के तौर पर मार्च, 2018 में आरएचएफएल का शेयर मूल्य करीब 59.60 रुपये था। मार्च, 2020 तक जब धोखाधड़ी की सीमा स्पष्ट हो गई और कंपनी के संसाधन समाप्त हो गए, तो शेयर की कीमत गिरकर केवल 75 पैसे रह गई। अब भी नौ लाख से अधिक लोगों ने आरएचएफएल में निवेश किया हुआ है और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सेबी ने अंबानी और पूर्व अधिकारियों सहित इन 25 पर ‘‘ प्रतिभूति बाजार तक पहुंच और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिभूतियों की खरीद, बिक्री या अन्य लेनदेन पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।’’
अंबानी पर करोड़ों का जुर्माना
अंबानी और आरएचएफएल के तीन पूर्व अधिकारियों (बापना, सुधालकर और शाह) को ‘‘ पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रतिभूति बाजार से जुड़े रहने (किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी इकाई में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) के रूप में काम करने) पर रोक लगा दी गई है।’’ इसके अलावा, नियामक ने अंबानी पर 25 करोड़ रुपये, बापना पर 27 करोड़ रुपये, सुधालकर पर 26 करोड़ रुपये और शाह पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
साथ ही रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट एलटी, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड, रिलायंस क्लीनजेन लिमिटेड, रिलायंस बिजनेस ब्रॉडकास्ट न्यूज होल्डिंग्स लिमिटेड और रिलायंस बिग एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड सहित शेष इकाइयों पर 25-25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
बाजार नियामक सेबी ने फरवरी, 2022 में एक अंतरिम आदेश पारित किया था और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड, उद्योगपति अनिल अंबानी और तीन अन्य व्यक्तियों (अमित बापना, रवींद्र सुधाकर और पिंकेश आर. शाह) को कंपनी से कथित रूप से धन निकालने के आरोप में अगले आदेश तक प्रतिभूति बाजार में किसी भी तरह से भी शामिल होने से रोक दिया था।
Updated 15:08 IST, August 23rd 2024