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Published 18:42 IST, April 13th 2024

'PM मोदी के दिल में चीन के लिए खास जगह थी...', अमेरिकी मीडिया ने एक बार फिर ड्रैगन को दिखाया आईना

India-China Relations: अमेरिकी मीडिया ने भी लिखा कि नरेंद्र मोदी अपने देश को एक प्रमुख शक्ति बनाना चाहते हैं, लेकिन चीन उनके रास्ते में रोड़ा बना हुआ है।

पीएम मोदी, जो बाइडेन और शी जिनपिंग | Image: AP

India-China Relations: भारत में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, देशभर के लोगों के साथ-साथ दुनियाभर की निगाहें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी हुई हैं। इसी बीच न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक आर्टिकल में PM मोदी और उनके चुनावी कैंपेन की चर्चा की है और ये स्वीकार किया है कि प्रधानमंत्री के चुनावी कैंपेन का एक स्तंभ भारत को दुनिया का मेजर पावर बनाना भी है। हालांकि, अखबार ने इस बात को हाईलाइट किया है कि चीन उनके रास्ते में रोड़ा बना हुआ है।

अखबार ने क्या लिखा?

अमेरिकी अखबार ने अपने आर्टिकल में कहा है कि एक वक्त था जब मोदी के दिल में चीन के लिए खास जगह थी। चीन के दौरे पर जाते वक्त उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था। इसके बाद 2014 में सत्ता संभालने के बाद जब उन्होंने अपने 63वें बर्थडे पर चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की मेजबानी की, तो एक तरफ जिनपिंग उनके साथ बैठे थे तो दूसरी तरफ चीनी सेना भारत के क्षेत्र में सेंध लगाने की कोशिश कर रही थी।

अमेरिकी मीडिया के इस आर्टिकल ने ये साफ कर दिया कि जिनपिंग ने कैसे PM मोदी के विश्वास और भारत के साथ दगाबाजी की। इसके साथ ही अखबार ने भी ये भी हाईलाइट किया कि भारत ग्लोबल साउथ के विकासशील देशों का नेतृत्व करने की होड़ में है। जब भारत ने पिछले साल G-20 समिट की मेजबानी की, तो शी जिनपिंग ने इससे किनारा कर लिया। आपको बता दें कि चीन की इस हरकत ने इस बात की पुष्टि कर दी थी कि कैसे वो भारत के ग्रेट पावर से घबराया हुआ है। ये भी एक कारण है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिष्ठित स्थायी सीट हासिल करने के भारत के अभियान में चीन एक प्रमुख बाधा बनकर खड़ा है।

ऐसा शायद पहले कभी नहीं देखा होगा...

अमेरिकी अखबार ने चीन और अमेरिका में भारतीय राजदूत निरुपमा मेनन राव को कोट करते हुए लिखा- 'आज आप उस भारत से मिल रहे हो जिसे शायद आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। मुझे लगता है कि चीनियों को इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी हो रही है और वे अब भी हमें नीचे खींचना, बाधाएं पैदा करना चाहेंगे।'

अखबार के मुताबिक, चीन के साथ टकराव के कारण ही पश्चिमी देशों ने भारत के साथ डिफेंस और इकोनॉमिक संबंधों को स्थापित करना शुरू किया। भारत ने सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए पिछले अमेरिका के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। भारतक्वाड के अन्य दो सदस्यों, ऑस्ट्रेलिया और जापान के भी करीब आ गया है, क्योंकि यह समूह चीन का मुकाबला करने के लिए काम करता है।

इसके अलावा, भारत भी इसमें अपना एक अवसर देखता है क्योंकि अमेरिका और यूरोप अपने उत्पाद बनाने के स्थान के रूप में चीन के विकल्प तलाश रहे हैं। इसकी एक सफलता भी मिली है। शुरुआती सफलता के रूप में भारत में आईफोन के उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है।

अमेरिकी मीडिया ने भारत की तारीफ ने कसीदे पढ़ते हुए ये भी लिखा कि भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रक्षा संबंधों का विस्तार किया है और पिछले दशक में द्विपक्षीय व्यापार को अकेले गुड्स के मामले में लगभग 130 बिलियन डॉलर तक दोगुना कर दिया है। इसने रूस के साथ अपने मजबूत संबंधों पर पुनर्विचार करने के अमेरिकी दबाव का विरोध किया है। भारत ने यूरोप और मध्य पूर्व के साथ भी संबंध गहरे किए हैं। अकेले संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत का व्यापार 85 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

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Updated 18:49 IST, April 13th 2024

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