पब्लिश्ड 17:32 IST, January 2nd 2025
Bangladesh: हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को बड़ा झटका, बांग्लादेश की अदालत ने जमानत देने से किया इनकार
बांग्लादेश की एक अदालत ने हिंदू संत और इस्कॉन से जुड़े रहे चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। संत की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनकी ओर से 11 वकीलों का एक समूह मौजूद था। चिन्मय कृष्ण दास डिजिटल तौर पर अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए।
- वर्ल्ड न्यूज़
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बांग्लादेश की एक अदालत ने हिंदू संत और इस्कॉन से जुड़े रहे चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। संत की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उनकी ओर से 11 वकीलों का एक समूह मौजूद था। चिन्मय कृष्ण दास डिजिटल तौर पर अदालत की कार्यवाही में शामिल हुए। अदालत के एक अधिकारी ने कहा,‘‘सुनवाई करीब 30 मिनट तक जारी रही, (मेट्रोपोलिटन सत्र) न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनीं और फिर उनकी (दास की) जमानत याचिका खारिज कर दी।’’
दास पहले इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े थे और अब बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत संगठन के प्रवक्ता हैं। उन्हें 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। उन्हें चटगांव लाया गया जहां अदालत ने अगले दिन उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल भेज दिया। दास को बांग्लादेश के झंडे का कथित रूप से ‘अपमान’ करने के लिए राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
क्या है चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप ?
बचाव पक्ष के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने पत्रकारों से कहा, ‘‘राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप निराधार है क्योंकि वह राष्ट्रीय ध्वज नहीं था। हमने अदालत से कहा कि यह मामला सुनवाई योग्य नहीं है।’’ दूसरी ओर सरकारी वकील मोफीजुल हक भुइयां ने कहा, ‘‘हमने सुनवाई के दौरान जमानत का विरोध किया और अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी है।’’ पूर्व उप अटार्नी जनरल भट्टाचार्य, दास की ओर से उच्चतम न्यायालय के 11 वकीलों के दल का नेतृत्व कर रहे थे।
अदालत के फैसले से हिंदू पक्ष नाराज
पुलिस ने अदालत परिसर के अंदर और आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की और वकीलों तथा अन्य संबंधित व्यक्तियों की पहचान जांच के बाद ही उन्हें अंदर जाने दिया। जब 26 नवंबर को दास की जमानत खारिज कर दी गई थी तो इस फैसले से हिंदू समुदाय के लोग नाराज हो गए थे और उन्होंने अदालत के बाहर जेल वैन के चारों ओर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके कारण हिंसक झड़पें हुईं। इसके परिणामस्वरूप वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की मौत हो गई थी।
अपडेटेड 17:32 IST, January 2nd 2025