पब्लिश्ड 10:10 IST, January 21st 2025
Donald Trump: शपथ ग्रहण पर ट्रंप के इस ऐलान से मचा हड़कंप, भड़के पनामा के राष्ट्रपति, चीन को भी दिया सीधा जवाब
ट्रंप के पनामा नहर पर नियंत्रण लेने के बयान पर पनामा के राष्ट्रपति भड़क गए हैं। उन्होंने कहा कि नहर पनामा के नियंत्रण में हैं और उसके नियंत्रण में ही रहेगी।
- वर्ल्ड न्यूज़
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Panama Canal Row: अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पनामा नहर को अमेरिकी कंट्रोल में लेने की बात कही है। ये नहर कैरेबियन देश पनामा का हिस्सा है। साल 1999 तक इस नहर पर अमेरिका का कब्जा था। अब ट्रंप के पनामा नहर पर नियंत्रण लेने के बयान पर पनामा के राष्ट्रपति भड़क गए हैं। उन्होंने कह दिया है कि नहर पनामा के नियंत्रण में हैं और उसके नियंत्रण में ही रहेगी।
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने संबोधन में पनामा नहर को वापस लेने का वादा करते हुए कहा था कि नहर के निर्माण के दौरान 38,000 अमेरिकी मारे गए। साथ ही यह भी दावा किया कि नहर को चीन ऑपरेट कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हमने इसे (पनामा नहर) चीन को नहीं दिया। अब इस हम इसे वापस लेंगे क्योंकि ये एक मूखर्तापूर्ण तोहफा है।
पनामा के राष्ट्रपति ने ट्रंप के बयान को किया खारिज
ट्रंप के इस बयान पर पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने एतराज जताते हुए कहा कि नहर पनामा के नियंत्रण में है और उसके ही नियंत्रण में रहेगी। इसके साथ ही पनामा ने नहर पर अमेरिका को नियंत्रण देने से साफतौर पर इंकार कर दिया। वहीं प्रेसीडेंट मुलिनो ने ट्रंप के नहर पर चीन के ऑपरेट करने वाले दावे को भी गलत बताया।
पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल पर बयान जारी करते हुए लिखा, 'मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शब्दों को पूरी तरह से खारिज करता हूं। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि नहर पनामा की है और पनामा की ही रहेगी।'
पनामा नहर पर तनातनी की वजह
पनामा नहर एक अहम अंतरमहाद्वीपीय जलमार्ग है जिसका निर्माण अमेरिका ने किया था। इसे 1914 में खोला गया था। वहीं लगभग ढाई दशक पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और पनामा के राष्ट्रवादी नेता उमर तोरिजोस में हुई एक संधि के तहत 31 दिसंबर, 1999 को इसे पनामा को सौंप दिया गया था। इसके बाद से कई बार पनामा नहर के ऐतिहासिक महत्व और स्वामित्व को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने पनामा का जिक्र कर उस पर नियंत्रण की बात कही। इससे पहले भी वो कई पार पनामा पर नियंत्रण की बात दोहरा चुके हैं।
पनामा नहर कितना महत्वपूर्ण?
पनामा नहर 82 किम लंबा जलमार्ग है, जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है। पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच जहाजों के यात्रा के समय को बहुत हद तक कम कर देता है।
पनामा नहर का इतिहास
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका, कोलंबिया और फ्रांस ने इस नहर के आस पास के क्षेत्र के निर्माण का कार्य शुरू किया। फ्रांस ने 1881 में नहर पर काम शुरू किया। लेकिन, बाद में निवेशकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था जिसके बाद 1889 में फ्रांस की ओर से काम रोक दिया गया। इसके बाद साल 1904 में अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। इसके बाद साल 1914 में अमेरिका ने नहर खोल दी। फिर अमेरिका ने 1999 में मार्ग का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था। ऐसे में इस नहर से गुजरने वाले जहाजों से किराया वसूला जाता है। यही वजह है कि यह नहर पनामा की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गया।
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अपडेटेड 10:10 IST, January 21st 2025