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Published 22:10 IST, September 20th 2024

गगनयान पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए, बोइंग जैसी कोई और घटना नहीं होनी चाहिए: इसरो प्रमुख

अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष स्टेशन में अपने 8 दिवसीय प्रवास को 8 महीने तक बढ़ाना पड़ा।

गगनयान पर सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए, बोइंग जैसी कोई और घटना नहीं होनी चाहिए: इसरो प्रमुख | Image: Republic

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गगनयान साल के अंत तक प्रक्षेपण के लिए तैयार है, लेकिन इस पर सावधानी से आगे बढ़ना होगा। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं में शामिल गगनयान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। सोमनाथ ने कहा, 'मैं नहीं चाहता कि बोइंग स्टारलाइनर के साथ जो हुआ वैसा कुछ दोबारा हो, इसलिए हमें बहुत सावधान रहना चाहिए। नासा के मिशन के तहत 5 जून को अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर गए बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान की पहली परीक्षण उड़ान 7 सितंबर को पृथ्वी पर लौट आई, लेकिन इसमें कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं लौटा।

अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अपने आठ दिवसीय प्रवास को आठ महीने तक बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा और अब उन्हें फरवरी में 'स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन' द्वारा लाया जाएगा। सोमनाथ ने शुक्र ग्रह के अन्वेषण के महत्व पर भी बल दिया। शुक्र ग्रह के अन्वेषण के लिए 'वीनस ऑर्बिटर मिशन' (वीओएम) भी केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित चार परियोजनाओं में से एक है और इसके लिए 1,236 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

सोमनाथ ने कहा, 'कल हो सकता है कि कुछ कारणों से पृथ्वी रहने लायक नहीं रहे। इसलिए यदि आप मंगल और शुक्र ग्रह पर क्या हो रहा है, इसका अध्ययन नहीं करेंगे तो संभवतः हमारी भावी पीढ़ी प्रभावित होगी। शुक्र ग्रह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत मंगल और चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुंच चुका है।' इसरो प्रमुख के अनुसार, अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) विकसित करने में सात साल लगेंगे। इस प्रक्षेपण यान को इसरो द्वारा वर्तमान में संचालित प्रणालियों को बदलने के लिए बनाया जा रहा है। चूंकि शुक्र मिशन को मार्च 2028 में प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है, इसलिए इसे मौजूदा प्रक्षेपण यानों से ही प्रक्षेपित किया जाएगा।

सोमनाथ ने कहा, 'रूस, चीन और जापान भी 2030 तक शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने वाले हैं। इसलिए, 2028 तक, हमने ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ या एलवीएम-3 से अपना शुक्र मिशन प्रक्षेपित करने का फैसला किया है।' उन्होंने कहा, 'यद्यपि शुक्र हमारा निकटतम ग्रह है, फिर भी यह अधिक चुनौतीपूर्ण है।' सोमनाथ ने 'पीटीआई वीडियोज' से कहा, 'हालांकि हम पहले मंगल ग्रह पर गए थे, जो थोड़ा दूर है, वहीं शुक्र ग्रह करीब है, लेकिन यह मंगल ग्रह से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि शुक्र के वायुमंडल में पृथ्वी के मुकाबले 100 गुना ज्यादा दबाव है।'

शुक्र मिशन, मंगल मिशन के बाद भारत का दूसरा अंतरग्रहीय मिशन होगा। मंगल मिशन 5 नवंबर 2013 को प्रक्षेपित किया गया था और इसने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था। सोमनाथ ने स्पेस एक्सपो की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में निवेश के लिए स्टार्टअप द्वारा दिखाई जा रही रुचि पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'जब मैंने आज कुछ स्टॉल देखे, तो मैं उद्योगों द्वारा किए गए काम से वाकई प्रभावित हुआ। बदलाव पहले ही हो चुका है। आज, हम कई स्टार्टअप को अपने खुद के उपग्रह बनाते हुए देख सकते हैं। यह वह बदलाव है जो हम देख रहे हैं।'

Updated 22:10 IST, September 20th 2024

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