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Published 22:52 IST, September 4th 2024

Paris Paralympics: विश्व चैम्पियन सचिन खिलाड़ी को शॉटपुट में रजत, भारत के पैरालंपिक में कुल 21 पदक

विश्व चैम्पियन सचिन सरजेराव खिलाड़ी ने बुधवार को यहां पुरूषों की शॉटपुट एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16 . 32 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता।

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Sachin Khilari | Image: Paralympics

Paris Paralympics: विश्व चैम्पियन सचिन सरजेराव खिलाड़ी ने बुधवार को यहां पुरूषों की शॉटपुट एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16 . 32 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता जिससे भारत का ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में पदक हासिल करने का सिलसिला जारी रहा जो देश का पैरालंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

34 वर्ष के खिलाड़ी ने दूसरे प्रयास में सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका और मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले 16.30 मीटर के अपने ही एशियाई रिकॉर्ड को बेहतर किया ।

सचिन खिलाड़ी का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास हालांकि उन्हें पहला स्थान दिलाने के लिए काफी नहीं था और कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने 16.38 मीटर के प्रयास से तोक्यो पैरालम्पिक में जीता स्वर्ण बरकरार रखा । क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने 16.27 मीटर से कांस्य पदक जीता । खिलाड़ी का रजत पेरिस पैरालम्पिक में एथलेटिक्स में भारत का 11वां पदक है जिससे देश के कुल पदकों की संख्या 21 पहुंच गयी जिसमें तीन स्वर्ण पदक शामिल हैं। एफ46 श्रेणी में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी है, मांसपेशियों की शक्ति क्षीण है या भुजाओं में निष्क्रिय गति की सीमा क्षीण है । ऐसे एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

मंगलवार को बीती रात विश्व चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता दीप्ति जीवनजी के एथलेटिक्स की महिला 400 मीटर टी20 स्पर्धा में 55.82 सेकेंड के समय के साथ कांस्य पदक जीतने के बाद भारत ने पुरुषों की ऊंची कूद टी63 और भाला फेंक एफ46 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। शरद कुमार और मरियप्पन थांगवेलु ने पुरुषों की ऊंची कूद टी63 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता जबकि अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंक एफ46 फाइनल में दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।

एफ46 वर्ग में वो खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी और मांसपेशियां कमजोर होती है जिससे वे खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं। महाराष्ट्र के सांगली जिले के करगानी गांव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले खिलाड़ी को स्कूल के दिनों में एक दुर्घटना का सामना करना पड़ा। चोट के कारण उनकी कोहनी की त्वचा में ‘गैंग्रीन’ हो गया। कई सर्जरी के बाद भी उनका हाथ कभी ठीक नहीं हो पाया।

बचपन में ही उनकी मां का भी देहांत हो गया था। रजत पदक जीतने के बाद खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं स्वर्ण पदक जीतना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रयास था लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं। मुझे लगता है कि मैं बेहतर कर सकता था। आज मेरा दिन नहीं था। ’’

तीरंदाजी में हरविंदर क्वार्टरफाइनल में पहुंचे 

तोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता हरविंदर सिंह ने लगातार तीरंदाजी पदक जीतने की मुहिम में पुरुष रिकर्व ओपन स्पर्धा में लगातार जीत दर्ज करते हुए क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया।भारत के एकमात्र पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर ने चीनी ताइपे के सेंग लुंग हुई को 7-3 से पराजित करने के बाद प्री क्वार्टरफाइनल में इंडोनेशिया के सेतियावान सेतियावान को 6-2 से हराया।

तोक्यो रजत पदक विजेता भाविना बाहर 

पेरिस पैरालम्पिक महिला एकल टेबल टेनिस में भारत की चुनौती खत्म हो गई जब तोक्यो पैरालम्पिक की रजत पदक विजेता भाविनाबेन पटेल क्लास 4 क्वार्टर फाइनल में चीन की यिंग झोउ से 1-3 से हार गई ।तोक्यो पैरालम्पिक में रजत के साथ इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी भाविनाबेन को 12 . 14, 9 . 11, 11 . 8, 6 . 11 से पराजय झेलनी पड़ी । इससे पहले क्लास 3 में भारत की सोनलबेन पटेल को क्रोएशिया की एंडेला मुजिनिच विंसेटिच ने हराया ।

महिला युगल में भारत की भाविनाबेन और सोनलबेन क्वार्टर फाइनल में कोरिया की यंग ए जुंग और एस मून से हार गई। भाविनाबेन एक साल की उम्र से पोलियो से जूझ रही है । वह व्हीलचेयर पर निर्भर खिलाड़ियों की श्रेणी में खेलती हैं ।

निशानेबाजी में कोई पदक नहीं 

वहीं शेटराउ में भारतीय निशानेबाज निहाल सिंह और रूद्रांक्ष खंडेलवाल मिश्रित 50 मीटर पिस्टल (एसएच1) स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने में विफल रहे। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता निहाल छह सीरीज में 522 अंक के स्कोर से क्वालीफिकेशन दौर में 19वें स्थान पर रहे। अपने पहले पैरालंपिक में हिस्सा ले रहे 17 वर्षीय रूद्रांक्ष 517 अंक के स्कोर से क्वलीफिकेशन दौर में 22वें स्थान पर रहे। रूंद्राक्ष आठ साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवा बैठे थे।

एसएच1 वर्ग में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिन्हें अपनी बंदूक उठाने में मुश्किल होती है और वे बैठकर (व्हीलचेयर या कुर्सी पर) या खड़े होकर निशाना लगाते हैं। नियम के अनुसार एसएच1 वर्ग में एथलीट पिस्टल या राइफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारतीय पैरा निशानेबाजों ने अब तक पेरिस पैरालंपिक में चार पदक जीते है जिसमें एक स्वर्ण और एक रजत शामिल है।

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Updated 22:52 IST, September 4th 2024

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